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भाजपा के इस फायरब्रांड नेता के गढ़ में चल रही थी हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने की तैयारी और फिर… यह बैठक 22 जून के बाद होगी। सीएम के कार्यक्रम के बाद पार्टी विधायकों के एक धड़े के अलग बैठक करने और नाराजगी जताने की खबरों से संगठन से लेकर सरकार तक हड़कंप मच गया। मंगलवार संगठन से जुड़े नेताओं ने विधायकों से पूरे प्रकरण पर बात की। बताया जा रहा है कि इसकी रिपोर्ट बनाकर प्रदेश के संगठन मंत्री और मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी। इस मामले में साहिबाबाद के विधायक सुनील शर्मा का कहना है कि जनप्रतिनिधि के मान-सम्मान की रक्षा करने का दायित्व जिले के पुलिस-प्रशासन का है। सीएम से मिलने से पहले समन्वय समिति के सामने सारी बात होगी। इसमें नंदकिशोर गुर्जर का मामला प्रमुखता से उठाया जाएगा। समिति की रिपोर्ट भी सीएम के पास जाएगी।
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हजारों की संख्या में लोग पढ़ रहे थे नमाज, तभी हुआ कुछ ऐसा कि दौड़ पड़े पुलिस अफसर और फिर उन्हें किया गया सम्मानित यहां से शुरू हुआ विवादभाजपा विधायकों के एक गुट को बागी तेवर दिखाने के लिए मजबूर करने वाले घटनाक्रम की शुरुआत नंदकिशोर गुर्जर की सुरक्षा घटाने से हुई। दरअसल लोनी विधायक के पास चार सरकारी गनर थे। एसएसपी वैभवकृष्ण ने सरकारी गनर की तैनाती की समीक्षा के बाद नियमानुसार विधायक को केवल एक ही गनर देने का निर्देश दिया था। इससे खफा होकर नंदकिशोर ने सभी गनर लौटा दिए थे। इसके बाद पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर तकरार हुई। इस बीच सीएम के कार्यक्रम से एक दिन पहले विधायक की कार पर हमला हुआ।
यह भी देखें-हाइवे पर हादसे में 6 लोगो की दर्दनाक मौत ऐसे में अफसरशाही के रवैये से आहत विधायकों ने तय किया था कि वे सोमवार को गाजियाबाद में होने वाली सीएम की मीटिंग में अपनी बात रखेंगे। हालांकि मिशन 2019 की तैयारी के लिए आए सीएम योगी ने किसी को अपनी बातकरने का मौका नहीं दिया। कुछ विधायकों ने अपनी बात कहनी भी चाही तो उन्हें लखनऊ आने के लिए बोल दिया गया। इससे आहत विधायकों के एक गुट ने सीएम के जाने के तुरंत बाद बंद कमरे में मीटिंग की थी। इसमें तय हुआ था कि उनका एक प्रतिनिधिमंडल योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेगा और उन्हें पूरे मामले की जानकारी देगा। अगर सुनवाई नहीं हुई तो गाजियाबाद के अन्य चारों विधायक भी अपनी सरकारी सुरक्षा लौटा देंगे। विधायकों की यह नाराजगी अब अपना असर दिखा रही है।