वहीं खरीदी बंद होने के कारण किसानों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समिति में 10 से ज्यादा गांव के किसान धान बेचने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में इस समय समिति में खरीदी बंद होने के कारण धान लेकर पहुंचे किसान परेशानी में पड़ गए है। इस समय किसान रतजगा कर अपने धान की रखवाली कर रहे हैं।
किसानों का कहना है कि खरीदी बंद होने से उन्हें बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कडक़ती ठंड में उन्हें बोरों के सामने सोकर रखवाली करना पड़ रहा है। मामले में किसानों ने जिम्मेदार अधिकारियों के साथ ही समिति के जिम्मेदारों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया है।
अधिकारियों की लापरवाही का खमियाजा भुगत रहे किसान, धान का उठाव नहीं
आपको बताते चले कि समिति ने सही समय पर धान का उठाव नहीं होने के साथ ही बारदानों की कमी के कारण धान खरीदी बंद होना बताया था। खरीदी बंद होने के कारण समिति के अंतर्गत आने वाले गांवों के सैकड़ों किसान धान नहीं बेच पाते।
वहीं इस समय समिति के बाहर कई ऐसे किसान हैं, जो कि मजबूरी में रतजगा कर अपने धान की रखवाली करते नजर आ रहे हैं। नाराज किसानों का कहना है कि यदि अधिकारियों ने सही समय पर धान का उठाव करवा लिया होता और बारदाने भी सही समय पर भेज दिया जाता तो शायद इस तरह की परिस्थितियों से उन्हें जूझना नहीं पड़ता।
तहसीलदार ने खरीदी केंद्र का दौरा कर परिवहन के संबंध में ली जानकारी
तहसीलदार शरदचंद्र यादव ने लाटापारा सहकारी समिति का निरीक्षण कर परिवहन के संबंध में जानकारी ली। यादव को समिति के खरीदी प्रभारी चरण यदु ने बताया कि गुरूवार को समिति में चार से पांच गाडिय़ां परिवहन करने के लिए लगाई गई है।
उन्होंने बताया कि 21 हजार 835 क्ंिवटल धान में से मिल को 360 क्ंिवटल धान दिया गया है, जबकि संग्रहण केंद्र के लिए परिवहन 3600 क्ंिवटल अब तक किया गया है। इसी तरह अब समिति में 17 हजार 875 क्ंिवटल धान बचे होने की जानकारी तहसीलदार को दी गई। मामले में तहसीलदार ने भी समिति के खरीदी प्रभारी को निर्देशित किया कि जल्द ही व्यवस्था को सुचारू किया जाए, ताकि किसानों को परेशानी का सामना न करना पड़े।