मान्यता है कि महादेव की जब शादी हुई थी तो भूत-पिशाच उनकी ओर से बाराती बनकर माता पार्वती को लाने गए थे। युवाओं की टोली भूत-पिशाच की पोशाक पहन उसी दृश्य को जीवंत करगी। ये आयोजन महादेव सेना ने किया गया है। सेना के उत्तम सोनी और हीरेंद्र साहू ने बताया, गरियाबंद के जिस सुभाष नगर से पालकी निकलेगी, वहां से भूतेश्वरनाथ की दूरी लगभग 4 किमी है। कह सकते हैं कि भोले की बारात में पूरे रास्ते भूत-पिशाच नाचते नजर आएंगे। बारात में बजरंग अखाड़ा दल शौर्य प्रदर्शन करेगा। राउत नाचा भी होगा।
दुर्लभ संयोगों से ये शिवरात्रि खास हो गई है। रायपुर से ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे बताते हैं, 300 साल बाद इस महाशिवरात्रि शिव और सर्वार्थ सिद्धि योग साथ पड़ रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला है। शिव योग ध्यान व मंत्र जप के लिए उत्तम है। इसी दिन शुक्र प्रदोष भी है। शुक्र प्रदोष के शुभ प्रभाव से कॅरिअर में कामयाबी मिलती है। इस दिन श्रवण नक्षत्र भी पड़ रहा है जो शुभ रहेगा।
अब तक होता ये आया है कि खास मौकों पर भूतेश्वरनाथ के दर्शन करने भक्त मरोदा जाते हैं। लेकिन, इस शिवरात्रि भूतेश्वरनाथ अपने भक्तों को दर्शन देने खुद गरियाबंद आएंगे। चौंक गए! समझाते हैं। शहर में युवाओं का एक और ग्रुप है जिसने इस महाशिवरात्रि को खास बनाने की तैयारी की है। ये भी उज्जैन की तर्ज पर पालकी निकालेंगे। लेकिन, गरियाबंद से भूतेवरनाथ नहीं। बल्कि, भूतेश्वरनाथ से गरियाबंद के लिए। इस पालकी में भगवान दूल्हे के रूप में दिखेंगे। बोल बम सेवा समिति ने ये आयोजन किया है। समिति के यश मिश्रा बताते हैं, पालकी को कंधा देने एक टाइम पर 4 लोगों की जरूरत पड़ेगी। यात्रा कई इलाकों से गुजरेगी। ऐसे में पालकी को कंधा देने 30 युवाओं की टीम साथ चलेगी। इसमें प्रतीक तिवारी, दानेंद्र चौहान, अभिषेक तिवारी, विकास पांडेय, आशीष सिन्हा, मानव निर्मलकर, चिराग ठाकुर, प्रियांशु तिवारी, प्रशांत राठौर, विकास यदु, शानू निकेश सिन्हा मदद करेंगे।
शिव योग: शुभ समय पर भोलेनाथ की पूजा करने पर उनकी कृपा प्राप्त होगी। घर में शुभ कार्य होने के भी योग बन सकते हैं। सिद्ध योग: इसका संबंध श्रीगणेश से है। इस योग में पूजा करने पर सभी कार्यों में सफलता मिलती है। घर में समृद्धि आती है।
श्रवण नक्षत्र: शनिदेव इसके स्वामी हैं। श्रवण नक्षत्र में किए काम का परिणाम शुभ होता है। नए कामों की शुरुआत करना शुभ।
पालकी चूंकि उज्जैन की तर्ज पर निकल रही है, इसलिए सुरक्षा इंतजाम उसी तरह करने की कोशिश है। उज्जैन में भगवान को जेड प्लस सिक्यूरिटी मिली है। सरकारी अनुमति के बिना ये संभव नहीं तो युवाओं ने दूसरा रास्ता खोज निकाला। पालकी की सुरक्षा के लिए 6 बाउंसर हायर कर लिए। पालकी अलग-अलग इलाकों से गुजरे तो लोग घरों से निकलकर आरती उतारें, इसका प्रचार एक महीने पहले ही शुरू होगया था। यश ने उज्जैन के सिंगर नितिन भगवान, श्री खाटू श्याम के भक्ति भजनों से मशहूर धरनी धर, फिल्म डायरेक्टर प्रकाश अवस्थी और सिंगर कंचन जोशी से सोशल मीडिया पर इस बारे में अपील भी कराई है।
मरोदा से निकलकर पालकी पहले गौरव पथ में हनुमान मंदिर के पास रूकेगी। यहां भगवान की पूजा-अर्चना के बाद पालकी को सिविल लाइन के रामजानकी मंदिर, फिर गायत्री मंदिर ले जाया जाएगा। दोनों जगहों पर भगवान को नारियल चढ़ाने के बाद बाबा भूतेश्वरनाथ तिरंगा चौक पहुंचेंगे। यहां बाबा की भव्य आरती उतारी जाएगी। इसके बाद पालकी सुभाष नगर, बजरंग चौक होते हुए कचहरी के शिव मंदिर पहुंचेगी। यहां भी महादेव की विधिवत पूजा-आराधना की जाएगी। फिर बाबा की पालकी को गाड़ी के जरिए वापस भूतेश्वरनाथ ले जाया जाएगा। यात्रा के दौरान जगह-जगह पुष्पवर्षा से भगवान और भक्तों का स्वागत किया जाएगा।