बिंद्रानवागढ़ विधानसभा में कुल 685 गांव आते हैं। इनमें से 70-75 फीसदी गांव नक्सल प्रभावित हैं। मौजूदा विधायक जनक ध्रुव का पैतृक निवास मैनपुर से लगे नहारबिरी गांव में है। वे रोज यहां से 80 किमी दूर देवभोग जाते हैं क्योंकि उनके विधानसभा से जुड़े कामों के लिए उपयुक्त जगह है। दरअसल, तकरीबन 200 किमी क्षेत्र में फैले बिंद्रानवागढ़ विधानसभा के लोगों के लिए देवभोग सेंट्रल प्वॉइंट है। जनक तीन महीने में 4 से 5 बार आवास के लिए आवेदन-निवेदन कर चुके हैं।
बुधवार दोपहर गरियाबंद के अपर कलेक्टर का एक बयान बयान आया। विधायक को सरकारी आवास न देने का कारण ये बताया कि उन्हें पहले ही रायपुर में आवास आवंटित है। हालांकि, पत्रिका ने जब विधायक से बात की तो उनका कहना था, रायपुर का घर सरकारी नहीं है। खुद का है। बता दें कि देवभोग में विधायक के लिए 10 साल पहले आवास दिया गया था। वो नेता अब विधायक नहीं रहे। आवास अब भी उन्हीं के पास है।
जिला मुख्यालय गरियाबंद के अफसरों को जब पता चला कि विधायक सुरक्षा छोड़कर अकेले ही अति संवेदनशील इलाकों में घूम रहे हैं तो उनके हाथ-पांव फूल गए। दोपहर करीब 3 बजे देवभोग के एसडीएम हितेश पिस्दा ने विधायक ने फोन पर संपर्क किया। यहां से मारन-मनौव्वल का दौर शुरू हुआ जो करीब आधे-पौन घंटे तक चलता रहा। विधायक इस आश्वासन पर माने कि गुरुवार को देवभोग में उन्हें आवास मुहैया करा दिया जाएगा। शाम 5 बजे विधायक वापस मैनपुर स्थित अपने पैतृक निवास में पहुंचे। तब कहीं जाकर उनकी सुरक्षा व्यवस्था वापस बहाल हो पाई।
मैनपुर से लगे गांव में स्थित अपने पैतृक निवास में सुबह 10 बजे सुरक्षा छोड़ने के बाद सबसे पहले जुगाड़ गए। फिर इंदागांव से भैंसमुड़ी, अमलीपदर, उरमाल, ओडिशा होते हुए वापस बिंद्रानवागढ़ विधानसभा के बरही गांव पहुंचे। बता दें कि इनमें से जुगाड़ और इंदागांव अति संवेदनशील इलाके हैं। इसके अलावा मैनपुर से धुरवागड़ी तक 60 किलोमीटर घना जंगल पड़ता है। इसे भी एक्टिव नक्सलियोंका इलाका माना जाता है। इतने अतिसंवेदनशील इलाकों में विधायक के अकेले घूमने की खबर पाकर अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। हालांकि, कोई अनहोनी नहीं हुई। लेकिन, सुरक्षा न होने से कोई भी बड़ी घटना हो सकती थी।
सामान्य प्रशासन विभाग से जानकारी मांगी गई है कि विधायक जनक ध्रुव को रायपुर में सरकारी आवास आवंटित किया गया है या नहीं! अगर रायपुर में उन्हें आवास नहीं मिला तो देवभोग में इंतजाम कर दिया जाएगा। यही नियम है।
– दीपक कुमार अग्रवाल, कलेक्टर, गरियाबंद