क्या है iSIM टेक्नोलॉजी ?
iSIM एक नई और खास तकनीक है जो सिम कार्ड की कार्यक्षमता को डिवाइस के मुख्य प्रोसेसर के साथ मिलकर काम करने में सक्षम बनाती है। वास्तव में ये टेक्नोलॉजी eSIM की तरह है, लेकिन इसका सपोर्ट स्मार्टफोन्स में दिया जाएगा। क्वालकॉम का कहना है कि आई सिम तकनीक के आने से फोन्स की क्षमता बेहतर होगी और यूजर्स को भी इससे बहुत फायदा होगा। इस टेक्नोलॉजी के आने के बाद फोन्स में सिम कार्ड का स्लॉट मिलना बंद हो जाएगा। फिलहाल इस तकनीक पर काम चल रही है।
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iSIM टेक्नोलॉजी से होने वाले फायदे :-
iSIM तकनीक के आने से सिम कार्ड काफी एडवांस हो जाएंगे। लैपटॉप, आईओटी डिवाइस, स्मार्टवॉच और वर्चुअल रियलिटी प्लेटफॉर्म को आसपस में जोड़ा जा सकेगा। क्वालकॉम का कहना है कि इस तकनीक से फायदा कई स्तर पर हो सकता है। उदाहरण के तौर पर इस टेक्नोलॉजी के आने से डिवाइस में सिम कार्ड स्लॉट हट जाएगा, जिससे डिजाइन को और बेहतर बनाया जा सकेगा। साथ ही इससे फोन की परफॉर्मेंस भी बेहतर होगी। इसके अलावा आई सिम तकनीक से मौजूदा ई-सिम इंफ्रास्ट्रक्चर को भी फायदा होगा। इसके आने से सिम कार्ड की क्षमता फोन में आ जाएंगी।
कब आएगी iSIM टेक्नोलॉजी ?
आई सिम टेक्नोलॉजी के आने से स्मार्टफोन बाजार से लेकर टेलीकॉम सेक्टर तक बदल जाएगा। यूजर्स को स्मार्टफोन में पूरे सिग्नल मिलेंगे। इससे प्लास्टिक की खपत भी बहुत काम होगी, जिसका इस्तेमाल सिम कार्ड बनाने में किया जाता है। हालांकि, दूरसंचार ऑपरेटरों को इसे मुख्यधारा में लाने के लिए इस विचार को अपनाना होगा। तकनीक को वास्तव में अपनी शुरुआत करने में कई साल लग सकते हैं।
क्या बाजार में मौजूद है iSIM टेक्नोलॉजी सपोर्ट करने वाला डिवाइस ?
नहीं, लेकिन टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन (Vodafone) और चिपसेट निर्माता कंपनी क्वालकॉम (Qualcomm) ने साथ मिलकर यूरोप में बुनियादी ढांचा तैयार किया है, जिसमें यह दिखाने की कोशिश की गई है कि कैसे आई सिम टेक्नोलॉजी काम करेगी और इससे कैसे डिवाइसेज की परफॉर्मेंस बेहतर होगी। बता दें कि इसमें सैमसंग के गैलेक्सी जेड फ्लिप 3 (Samsung Galaxy Z Flip3 5G) का इस्तेमाल किया गया था। इस फोन में स्नैपड्रैगन 888 प्रोसेसर को फिट किया गया था, जिसे iSIM का सपोर्ट मिला।