यह फैसला ई-कचरे को कम करने और कस्टमर्स को अधिक बेहतरीन प्रोडक्ट देने में मदद करेगा। इस फैसले के पक्ष में 602 वोट, जबकि 13 इसके खिलाफ थे और 8 ने इसमें सुधार के साथ अपनाने का सुझाव भी दिया था। काफी समय से भारत में भी इस तरह का कानून लाने की बात हो रही है,जिसमें सारे गैजेट्स के लिए सिर्फ एक ही चार्जर का इस्तेमाल हो और ख़बरों की माने तो भारत सरकार भी इस दिशा में जल्द ही कोई फैसला ले सकती है।
कुछ समय पहले भी यूरोपियन यूनियन (EU) ने यूनिवर्सल चार्जर को लाने के लिए एक नियम बनाया था, जिसमें यूनियन ने कहा था की सभी तरह के स्मार्टफोन और गैजेट्स के लिए एक यूनिवर्सल चार्जर का इस्तेमाल होने का नियम लागू करेगी। इस नियम के लागू होने से ना सिर्फ टेक्नोलॉजी कंपनियों को अलग-अलग चार्जर बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि यह कदम यूजर्स को लिए भी फायदेमंद होगा क्योंकि इससे उन्हें मल्टीप्ल चार्जर साथ रखने की जरूरत नहीं होगी।
इसके अलावा यूनिवर्सल चार्जर आने से इलेक्ट्रॉनिक कचरे में भी काफी कमी आएगी। यूरोपियन यूनियन के इस फैसले पर एप्पल की राय एक दम अलग थी। एप्पल का कहना था कि यूनिवर्सल चार्जर आने के बाद इनोवेशन ख़त्म हो जाएगा और ग्राहको को भी परेशानी उठानी पड़ेगी।
आपको बता दें कि यूरोपियन यूनियन में करीब 45 करोड़ स्मार्टफोन इस्तेमाल होते हैं। एप्पल काफी समय से अपने सभी गैजेट्स जिसमें आईपैड, एयरपॉड और आईफोन शामिल हैं के लिए लाइटनिंग टाईप चार्जर का इस्तेमाल करता आया है और अब यूरोपियन यूनियन टाइप-C चार्जर को यूनिवर्सल चार्जर बनाने के बारे में विचार कर रही है। ऐसे में एप्पल के लिए यह फैसला बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है।