लौकी के ताजा छिलके को पीसकर चेहरे पर लेप करने से त्वचा में निखार आता है और इसे यदि काटकर आप पैर के तलवों पर मलते हैं तो पैर की गर्मी व जलन दूर होती है। इसके अलावा अलावा लौकी पेट रोग के विकारों को करने में भी कारगर है। लौकी को धीमी आंच में भूनकर भुर्ता बना लें, इसका रस निचोड़कर मिश्री मिलाकर पीने से लिवर व पेट के रोगों में लाभ होगा। उबली हुई लौकी का रायता खाने से दस्त में आराम मिलता है।
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लौकी के और कई फायदे हैं। लौकी बवासीर के इलाज में भी उपयोगी है। इसके लिए आप लौकी के छिलके को छाया में सुखाकर पीस लें। रोजाना सुबह-शाम एक चम्मच ठंडे पानी के साथ फांकी लें। इससे आपको राहत मिलेगी। पेट-रोग : लौकी को धीमी आंच में भूनकर भुर्ता बना लें, इसका रस निचोडक़र मिश्री मिलाकर पीने से लिवर व पेट के रोगों में लाभ होगा।
त्वचा : लौकी के ताजा छिलके को पीसकर चेहरे पर लेप करने से त्वचा में निखार आता है।
तलवों की जलन : लौकी को काटकर पैर के तलवों पर मलने से पैर की गर्मी व जलन दूर होती है।
दस्त : उबली हुई लौकी का रायता खाने से दस्त में आराम मिलता है।
त्वचा : लौकी के ताजा छिलके को पीसकर चेहरे पर लेप करने से त्वचा में निखार आता है।
तलवों की जलन : लौकी को काटकर पैर के तलवों पर मलने से पैर की गर्मी व जलन दूर होती है।
दस्त : उबली हुई लौकी का रायता खाने से दस्त में आराम मिलता है।
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दवा की तरह प्रयोग दांतदर्द : 75 ग्राम लौकी व 20 ग्राम लहसुन पीसकर एक लीटर पानी में उबालें। पानी आधा रह जाए तो छानकर कुल्ला करें। बवासीर : छिलके को छाया में सुखाकर पीस लें। रोजाना सुबह-शाम एक चम्मच ठंडे पानी के साथ फांकी लें।डॉ. पूनम शुक्ला, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ
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