मंगला दर्शन में नहीं रहती पैर रखने जगह शारदीय नवरात्रों में मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की भीड बढ़ जाती है। स्थिति ये होती है कि मंगला दर्शन के लिए तड़के ही मंदिर प्रांगण श्रद्धालुओं से भर जाता है। समूचा मंदिर परिसा जय माता दी के जयकारों से गुंजायमान हो जाता है। लोग पहले दर्शन करने के लिए देर रात्रि से ही लाइन में लगना शुरू हो जाते हैं, जिससे मंगला दर्शन करने में उन्हें अधिक परेशानी का सामना न करना पड़े।
मंदिर परिसर में होती है कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुहाग नगरी में कैला मां का मंदिर कई वर्ष पुराना है। जानकार बताते हैं कि मां की ज्योति को राजस्थान करौली से लाया गया था। मां के दर्शन करने से सामने सजीव दर्शन होते हैं। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मां की पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था के कडे बंदोबस्त किए जाते हैं। पुरूषों के अलावा महिला पुलिसकर्मियों को भी ड्यूटी पर लगाया जाता है।
मनौती पूरी होने पर कराते हैं भंडारा कैला देवी मंदिर में भंडारा कराने वालों की भी लंबी लाइन रहती है। मनौती पूरी होने पर मंदिर परिसर में भंडारा कराते हैं। इसके लिए उन्हें भंडारा कराने के लिए स्वीकृति लेनी पड़ती है। मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए गए हैं ताकि किसी घटना होने पर कैमरों की मदद ली जा सके। सुहाग नगरी के उद्योगपति और व्यापारी वर्ग सुबह प्रतिष्ठान पर पहुंचने से पहले मां के दर्शन करने अवश्य जाते हैं। मां अपने दर पर आने वाले को खाली हाथ नहीं जाने देती। यही कारण है कि आज मां के श्रद्धालुओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। नवरात्रों में नेजा चढ़ाने वालों की भी भीड़ रहती है।