फिरोजाबाद। यहां का चन्द्रवाड़ जैन मंदिर शहर का सबसे प्राचीन जैन मंदिर है। राजा चन्द्रसेन के समय का यह जैन मंदिर आज सुहागनगरी की धरोहर के रूप में स्थापित है। इस जैन मंदिर पर मुगल शासक मुहम्मद गौरी ने आक्रमण किया लेकिन इसका बाल भी बांका नहीं कर सका। इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली। इस मंदिर से जुड़ी 10 रोचक बातें आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
1. चन्द्रवाड़ जैन मंदिर यमुना नदी के पास फिरोजाबाद शहर से कुछ दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। आबादी से दूर होने के कारण यहां शांतप्रिय वातावरण रहता है।
2. इस जैन मंदिर में प्रवेश के लिए दो द्वार बनाए गए हैं। सबसे रोचक बात यह है कि इस जैन मंदिर के निर्माण में ककइयां ईंटों का प्रयोग किया गया है। सीमेंट के स्थान पर चूने का प्रयोग किया गया है।
3. चन्द्रवाड़ के राजा चन्द्रसेन थे जो जैन धर्म के अनुयायी थे। उन्होंने 51 जैन मंदिरों का निर्माण इस क्षेत्र में कराया था। जहां जैन समाज के भगवान की मूर्तियों को स्थापित कराया गया था।
4. विदेशी आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी 1205 ईसवी में यहां आया था और उसकी नजर इस जैन मंदिर पर पड़ी थी। जैन मंदिर पर कब्जा करने के लिए उसने आक्रमण कर दिया था। 5. मुहम्मद गौरी ने राजा चन्द्रसेन को आक्रमण में हरा दिया था और उसके बाद जैन मंदिरों को तोड़ना शुरू कर दिया था लेकिन वह चन्द्रवाड़ जैन मंदिर को नहीं तोड़ सका था।
6. मंदिर के बाहर जैन धर्म का ध्वज आज भी हवा में लहरा रहा है। यमुना किनारे से कुछ दूरी पर इस जैन मंदिर के होने को लेकर यह स्थान जैन तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित है।
7. मुहम्मद गौरी के आतंक से परेशान राजा चन्द्रसेन ने जैन भगवानों की मूर्तियों को जमीन में खुदाई कर छिपा दिया था जिससे मूर्तियों को मुहम्मद गौरी से बचाया जा सके। 8. आज भी चन्द्रवाड़ क्षेत्र में जैन भगवान की मूर्तियां खुदाई में निकलती हैं। जिन्हें चन्द्रवाड़ जैन मंदिर के अंदर रखवा दिया जाता है। जैन मंदिर में अभी भी तमाम खंडित मूर्तियां भी सुरक्षित रखी हुई हैं।
9. चन्द्रवाड़ जैन मंदिर कई दशक पुराना होने के साथ ही काफी प्रसिद्ध भी है। बताते हैं कि फिरोजाबाद का पुराना नाम चन्द्रवाड़ है। आरएसएस पदाधिकारी आज भी फिरोजाबाद का नाम चन्द्रवाड़ ही लेते हैं।
10. मुहम्मद गौरी के आक्रमण के बाद फिरोजाबाद के सभी जैन मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था लेकिन चन्द्रवाड़ जैन मंदिर की इमारत को छू तक नहीं सका था। उसके बाद से मंदिर की ख्याति दूर—दूर तक फैल गई थी।
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