मामला तहसील क्षेत्र के गांव छितरई का है। यहां रहने वाली करीब 50 वर्षीय नीतू देवी के पति राजाराम टीबी की बीमारी से ग्रसित थे। उपचार कराने के बाद भी वर्ष 2005 में उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी बड़े बेटे धर्मेन्द्र ने उठाई लेकिन उसे भी टीबी हो गई और 21 साल की उम्र में वर्ष 2010 में उसकी भी मौत हो गई। पति और बेटे का गम जैसे तैसे उठाने वाली मां को दूसरे नंबर के बेटे अरविंद ने संभाला।
परिवार की गाड़ी पटरी पर आती उससे पहले ही उसकी भी टीबी की बीमारी से वर्ष 2016 में मौत हो गई। घर में मां और बहन का सहारा सबसे छोटा बेटा 19 वर्षीय विपिन बचा था। वह मेहनत मजदूरी करके परिवार की गाड़ी को खींच रहा था लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। मंगलवार को बीमारी से उसकी भी मौत हो गई। एक ही परिवार में टीबी से चार मौत होने पर ग्रामीण भी परेशान हो गए।
बिलखती मां को चुप कराती 16 वर्षीय बेटी पूजा ने बताया कि पहले उसके पिता चले गए और एक—एक करके उसे तीनों भाई। अब घर में उसकी मां और वह बचे हैं। घर में दो वक्त की रोटी का भी इंतजाम नहीं है। सरकार की ओर से एक कमरा बनवाया गया था। उसी में किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। भाई के अंतिम संस्कार को भी पैसे नहीं थे तो ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने आगे हाथ बढ़ाया। इस मामले में सीएमओ डॉ. एसके दीक्षित का कहना है कि हमें इस मामले की जानकारी नहीं है। गांव में टीम भेजकर जानकारी की जाएगी।