आलू किसान देवलाल बताते हैं कि किसानों को उनकी लागत का पैसा भी नहीं मिल पा रहा है। पहले खेती करने में इतनी परेशानी नहीं होती थी लेकिन बदलते परिवेश में खेती करना काफी महंगा हो गया है। सरकार किसान हित में बिल्कुल नहीं सोच रही है। अभी किसानों को न तो बिजली समय से मिल रही है और न पानी की ही व्यवस्था हो पाती है। गरीब अब खेती भी नहीं कर सकता। खेती करना अब काफी मुश्किल हो गया है। ऐसी कोई भी फसल नहीं है जिसे करने के लिए किसान को कर्जा न लेना पड़ता हो। कर्जा लेने के बाद किसान सोचता है कि फसल बिकने पर उसका कर्ज चुका देगा, लेकिन ऐसा नहीं होता। किसान घाटे में ही रहता है। लिहाजा वो कर्ज तले दब जाता है।
किसानों का कहना है कि खेती करना अब हर किसी के बस की बात नहीं रही। पहले किसान कम संसाधनों और कम लागत में फसल पैदा कर लेता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। बीज से लेकर पानी तक सब पैसों से मिलते हैं। फसल बोने के लिए ट्रैक्टर समेत अन्य उपकरणों की आवश्यकता होती है। वहीं फसल तैयार होने के बाद भी उपकरणों की आवश्यकता होती है। ऐसे में गरीब किसान कहां से महंगे उपकरण लाकर खेती कर सकेगा इसलिए अधिकांश छोटे किसान खेती बंद कर दूसरे कामों में घुस रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि खेत में होने वाली दाल, चना, सब्जी और तिलहन का उत्पादन कम हो रहा है।
किसान देवीचरन कहते हैं कि सबसे अधिक परेशान आलू किसान रहता है। आलू उत्पादन करना काफी महंगा हो गया है। पिछले तीन सालों से आलू किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसकी वजह से फिरोजाबाद जिले में करीब एक दर्जन से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली। बैंक और लोगों से कर्ज लेकर फसल में लगाया, लेकिन उत्पादन अच्छा होने के बाद भी लागत नहीं निकल सकी। किसानों को फसल में काफी नुकसान हुआ और उन्हें आलू की पैदावार बंद करनी पड़ी।
किसान ओमप्रकाश बताते हैं कि किसानों की प्रमुख समस्या पानी की है। बंबे और रजवाहा सूखे पड़े हैं। पानी की व्यवस्था की जाए। किसानों को खेती करने के लिए बैंक से कर्जा मिलना चाहिए जो समय से नहीं मिल पाता है। किसानों को सब्सिडी और कम लागत पर बीज उपलब्ध होना चाहिए। विद्युत कनेक्शन आसानी से दिया जाना चाहिए। किसान को उसकी फसल का उचित दाम मिलना चाहिए। खाद समय से और कम दाम पर मिलनी चाहिए। अभी बाजरा की खेती का समय है और पानी का अभाव है।