यह भी पढ़ें— अनोखी पहल: कैंडल March निकाल सड़क हादसों में मरे लोगों को दी गई श्रद्धांजलि, देखें वीडियो शिकोहाबाद का रहने वाला है अजय
फिरोजाबाद जनपद के शिकोहाबाद में रहने वाले अजय ने जिसके दोनों हाथ नहीं है। बावजूद इसके वह अपने सभी काम पैरों से करता है। अजय ने पैरों से ही पढ़ाई लिखाई कर बायो से बीएससी भी कर ली है। शिकोहाबाद के आंव गंगा रोड पर रहने वाला अजय जब पैदा हुआ था, तभी उसके दोनों हाथ नहीं थे। अजय के पैदा होते ही परिजनों में खुशी की बजाय मायूसी देखने को मिली कि आखिर अजय अब अपनी जिंदगी कैसे गुजर बसर करेगा क्योंकि उसके हाथ ही नहीं है लेकिन अजय जब समझदार हुआ तो उसने कभी अपनी दिव्यांगता को बोझ नहीं समझा।
फिरोजाबाद जनपद के शिकोहाबाद में रहने वाले अजय ने जिसके दोनों हाथ नहीं है। बावजूद इसके वह अपने सभी काम पैरों से करता है। अजय ने पैरों से ही पढ़ाई लिखाई कर बायो से बीएससी भी कर ली है। शिकोहाबाद के आंव गंगा रोड पर रहने वाला अजय जब पैदा हुआ था, तभी उसके दोनों हाथ नहीं थे। अजय के पैदा होते ही परिजनों में खुशी की बजाय मायूसी देखने को मिली कि आखिर अजय अब अपनी जिंदगी कैसे गुजर बसर करेगा क्योंकि उसके हाथ ही नहीं है लेकिन अजय जब समझदार हुआ तो उसने कभी अपनी दिव्यांगता को बोझ नहीं समझा।
यह भी पढ़ें— VIDEO: तिरंगे में लिपटकर पहुंचा शहीद का शव, अंतिम संस्कार में आंखों से बह निकली अश्रुधारा सभी काम करता है अजय
आज अजय अपने घर के सभी काम अपने पैरों से करता है और तो और उसने बायोलॉजी से बीएससी भी कर ली है। अजय के पिता नहीं है और उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। लिहाजा वह एक निजी स्कूल में तीन हजार रुपए प्रति माह की नौकरी कर अपनी मां का भी पालन पोषण करता है। अजय किराए के मकान में रहता है और आज की इस महंगाई में उसका तीन हजार में गुजारा भी नहीं हो पाता है लेकिन उसे आज तक एक भी रुपए की वित्तीय सहायता सरकार से नहीं मिली। अजय चाहता है कि सरकार उसकी तरफ भी ध्यान दे लेकिन सरकारी सिस्टम से उसका भरोसा इस कदर उठ गया कि अब अजय सरकारी सहायता के नाम से मना करने लगा है क्योंकि उसकी कोई भी सुनने वाला नहीं है।
आज अजय अपने घर के सभी काम अपने पैरों से करता है और तो और उसने बायोलॉजी से बीएससी भी कर ली है। अजय के पिता नहीं है और उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। लिहाजा वह एक निजी स्कूल में तीन हजार रुपए प्रति माह की नौकरी कर अपनी मां का भी पालन पोषण करता है। अजय किराए के मकान में रहता है और आज की इस महंगाई में उसका तीन हजार में गुजारा भी नहीं हो पाता है लेकिन उसे आज तक एक भी रुपए की वित्तीय सहायता सरकार से नहीं मिली। अजय चाहता है कि सरकार उसकी तरफ भी ध्यान दे लेकिन सरकारी सिस्टम से उसका भरोसा इस कदर उठ गया कि अब अजय सरकारी सहायता के नाम से मना करने लगा है क्योंकि उसकी कोई भी सुनने वाला नहीं है।