1. लोन की मंजूरी देने से पहले बैंक सबसे पहले आपको पेमेंट और रिपेमेंट क्षमता को परखते हैं। यदि आपने पहले से ही कोई लोन ले रखा है तो आपके लोन लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। कुछ बैंक इस बात का भी ख्याल रखते हैं कि आपके परिवार में आप पर कितने लोग निर्भर हैं।
2. चूंकि, इस लोन के तहत ली जाने वाली रकम बहुत बड़ी होती है और इसे जमा करने की अवधि भी लंबी होती है, ऐसे में सही उधारकर्ता चुनना आपके लिए महत्वपूर्ण होता है। इस संबंध में जानकारों का मानना है कि आपको केवल ब्याज दर के बारे में ही नहीं बल्कि कई अन्य मानकों का ध्यान रखना चाहिए। इनमें, प्रीपेमेंट चार्ज, फोरक्लोजर चार्ज, प्रोसेसिंग शुल्क, लेट पेमेंट पेनाल्टी जैसी बातें होती हैं जिन्हे आपको ध्यान रखना चाहिए।
3. जानकारों का यह भी कहना है कि यदि आप लोन रिपेमेंट क्षमता का ख्याल नहीं रखते हैं तो आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपको ये नहीं भूलना चाहिए कि इस लोन के लिए आप अपनी प्रॉपर्टी कोलेटरल के तौर रखने वाले हैं। यह लोन लंबी अवधि जैसे 15 साल तक के लिए लिया जाता है। इस लोन के लिए आपको लचीला रिपेमेंट विकल्प, कागजी प्रक्रिया का भी फायदा मिलता है।
4. कई बार इस लोन के लिए मंजूरी नहीं मिलती है क्योंकि आपने जो प्रॉपर्टी कोलेटरल के तौर पर रखना चाहते हैं, उसपर यदि किसी प्रकार का कोई विवाद होता है। इसके लिए लोन टू वैल्यू अनुपात एक सीमित दायरे में होता है जोकि आमतौर पर 50-60 फीसदी के करीब होता है। यह लोन 5 लाख रुपए से 500 करोड़ रुपए तक का होता है। इस लोन के तहत अधिकतम अवधि 20 सालों के लिए भी हो सकती है।
5. आपको एक और बात पर भी गौर करना होगा कि इसके तहत आपको कोई टैक्स छूट नहीं मिलेगी। आमतौर पर होम लोन लेने पर ब्याज रिपेमेंट पर 2 लाख प्रति वर्ष की छूट और मूल रकम चुकाने पर 1.50 लाख रुपए की छूट मिलती है।
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