क्या है नियम:
पिछले साल अगस्त में केंद्र ने जीपीएफ (GPF) के ब्याज पर टैक्स की गणना के लिए आयकर नियम 1962 में संशोधन किया था। इस निर्देश के मुताबकि, सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के एंप्लाई कॉन्ट्रिब्यूशन से पीएफ इनकम पर नया टैक्स लागू होगा। हालांकि, नए नियम से छोटे और मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
रेवेन्यू डिपार्टमेंट की अधिसूचना में कहा गया है कि:
रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने अपनी हालिया अधिसूचना (जो 15-02-2022 में जारी हुई) उसमे वित्त वर्ष 2021-22 में 5 लाख रुपये से अधिक की जीपीएफ सदस्यता वाले सरकारी कर्मचारियों को ‘वेतन बिलों से पहले उनके द्वारा अर्जित ब्याज” के बारे में सूचित करने के लिए कहा है। फरवरी 2022 के महीने वेतन और भत्तों से टीडीएस की कटौती के लिए तैयार हैं।’
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जीपीएफ पर टैक्स पर नियम:
आयकर नियम, 1962 के नियम 9D के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में प्राइवेट नौकरी वालों के पीएफ खाते में 2.5 लाख रुपए तक टैक्स फ्री योगदान का कैप लगाया था। नए आदेश के मुताबिक पांच लाख रुपए से ऊपर जीपीएफ कटवाने वाले सरकारी कर्मचारियों के ब्याज पर टैक्स लगेगा।
सरकार ने इनकम टैक्स (25 संशोधन) नियम 2021 लागू कर दिया है। इससे जीपीएफ में अधिकतम टैक्स मुफ्त योगदान की सीमा 5 लाख लागू हो गई है। अगर इसके ऊपर कर्मचारी ने कटौती कराई तो ब्याज आय को इनकम माना जाएगा।
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