क्या होता है पीसीए
आरबीआई ने कमजोर और परेशान होने वाले बैंकों पर सुधारात्मक कार्रवाई का आकलन करने, मॉनिटर करने, नियंत्रित करने और उनके लिए कुछ ट्रिगर अंक लगाए हैं। ऐसी प्रक्रिया या तंत्र जिसके तहत इस तरह की एंट्री ले ली जाती है उन्हें प्रॉम्प्ट सुधारक क्रिया या पीसीए के रूप में जाना जाता है। इस मामले में जानकारों का मानना है कि, आरबीआर्इ के पीसीए फ्रेमवर्क से बैंको में लोन के रूप में कितना लेनदेन हाे रहा है, इस पर नजर रखी जाती है। बड़ी कंपनियों के पास काॅर्पोरेट बाॅन्ड मार्केट का फायदा होता है जिसके वजह से इनपर इतनी जल्दी इसका असर देखने को नहीं मिलेगा।
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इन पब्लिक सेक्टर बैंक पर लागू है पीसीए फ्रेमवर्क
वर्तमान में, 21 सरकारी बैंकों में से 11 कमजोर पीएसबी पीसीए के तहत हैं, जो कि जब बैंक न्यूनतम पूंजी, गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) और परिसंपत्तियों पर रिटर्न को देखकर लगाया जाता है। आरबीआई इन दिशानिर्देशों को इसलिए लागू करता है ताकि बैंक बंद न हो जाएं आैर वो इससे बचने के लिए सही समय पर जरूरी कदम उठा सकें।
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ये बैंक भी आ सकते हैं पीसीए के दायरे में
रेटिंग एजेंसी आर्इसीआरए ने पिछले महीने अपने एक रिपाेर्ट में कहा था कि 4-5 आैर बैंक भी पीसीए के अंतर्गत अा सकते हैं। इनमें केनरा बैंक, यूनियन बैंक, अांध्रा बैंक, पंजबा नेशनल बैंक आैर पंजाब & सिंद बैंक हो सकते हैं। पीसीए के तहत जो 11 बैंक पहले से है उनमें आर्इडीबीआर्इ बैंक, यूको बैंक, बैंक आॅफ इंडिया, सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया, इंडियन अोवरसीज बैंक, आेरिएंटल बैंक आॅफ काॅमर्स, देना बैंक, बैंक आॅफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया, काॅर्पोरेशन बैंक आैर इलाहाबाद बैंक शामिल हैं। इन बैंको को पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर आने में कम से कम 6-9 महीनें आैर लग सकते हैं।
आरबीआई ने अप्रैल 2017 में अपने पीसीए फ्रेमवर्क को कड़ा कर दिया ताकि कमजोर संचालन और वित्तीय मीट्रिक वाले उधारदाताओं को उनके खराब हालत से उबारा जा सके। आरबीआर्इ के इस कदम के बाद से 11 बैंकों को पीसीए में स्थानांतरित किया गया है। पीसीए नियमों में निर्धारित जोखिम थ्रेशोल्ड के आधार पर, बैंक शाखाओं की संख्या, स्टाफ भर्ती बढ़ाने और उनकी कर्ज लिस्ट में वृद्धि से प्रतिबंधित हैं। इसके अन्य प्रतिबंधों में उन कर्ज लेनेवाली कंपनियों के लिए उच्चतर प्रावधान हैं, जिनकी उधार लेने वाले निवेश ग्रेड से ऊपर है।
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सरकार ने आवंटित किया था 52,311 करोड़ की पूंजी
जनवरी में सरकार ने 52,311 करोड़ रुपये की पूंजी का बड़ा हिस्सा 11 कमजोर बैंकों को अपनी न्यूनतम पूंजी की आवश्यकता बनाए रखने के लिए आवंटित किया था जबकि नौ मजबूत बैंकों को 35,828 करोड़ रुपये दिए गए थे। पिछले अक्टूबर में ही वित्त मंत्रालय ने पब्लिक सेक्टर बैंको के लिए 2.11 लाख करोड़ के इक्विटी की घोषणा की थी। इसमें 1.35 लाख करोड़ रुपए पुर्नपंजीकरण बाॅन्ड के लिए, 18,000 करोड़ रुपए बजटीय संशाधन आैर 58,000 बैंको द्वारा बाजार से जुटाना शामिल था।
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एमएसएमर्इ सेग्मेंट पर पड़ सकता है असर
सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों का क्रेडिट ग्रोथ नवंबर 2016 में 8.2 फीसदी से घटकर दिसंबर 2016 में 7.7 फीसदी तक पहुंच गया। जिसके बाद में इसकी वृद्धि दर नवंबर 2017, दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 में बेहतर थी जो के क्रमश: 4.6, 7.2 और 6.9 प्रतिशत पर था। बैंक से जुड़े जानकारों का मानना है कि अगर अधिक सरकारी बैंकों को पीसीए के तहत लाया गया है, तो यह एमएसएमई सेगमेंट के लिए क्रेडिट की उपलब्धता पर असर पड़ेगा ।