रेपो दरों में कटौती की गुंजाइश कम
जानकारों की मानें तो आरबीआई रेपो और रिवर्स रेपो दरों में कटौती करने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहा है। मौजूदा समय में रेपो रेट 4 फीसदी है, जिसमें मई के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। वहीं दूसरी ओर मार्च में रेपो दरों में 115 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती देखने को मिली थी। उस समय देश कोरोना वायरस के कहर की चपेट में था। रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर है।
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जीडीपी के अनुमान हो सकता है परिवर्तन
हाल ही के दिनों में जीडीपी के आंकड़ें सामने आए हैं। जिसमें 7.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। जबकि पहली तिमाही के आंकड़े 24 फीसदी की गिरावट के साथ थे। दूसरी तिमाही के आंकड़े आरबीआई के पूर्वानुमान 8.6 फीसदी की गिरावट से बेहतर आने की वजह से इसमें संशोधन की संभावना देखने को मिल रही है। जानकारों की मानें तो आरबीआई इस बैठक में जीडीपी अनुमान -7 से -9 फीसदी कर सकता है।
महंगाई है बड़ी चिंता
मुद्रास्फीति यानी महंगाई आरबीआई के एक बड़ी चिंता का विषय है । जिसे काबू करना आरबीआई के लिए बड़ा टास्क है। इसका एक कारण यह भी है कि अक्टूबर में महंगाई साढ़े छह साल का उच्चतर 7.61 फीसदी थी और आरबीआई को उम्मीद है कि यह वित्तीय पर्ष 2020 की दूसरी छमाही में 5 फीसदी से नीचे आ सकती है। वहीं एमपीसी कैश रिजर्व रेशयो को बढ़ाकर अतिरिक्त लिक्विडिटी से चिंता को दूर करने का प्रयास करेगी। इसमें मार्च में 1 फीसदी की कटौती की गई थी और मार्च 2021 में रोल बैक किया जाना था।