अप्रैल में भी की थी कटौती
आपको बता दें कि इससे पहले आरबीआई ने फरवरी और अप्रैल में इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की थी, जिसके बाद से बैंकों ने भी अपनी ब्याज दरों में कटौती की थी। IHS Markit की वैश्विक मौद्रिक नीतियों और उनके आर्थिक प्रभाव को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल के मध्य तक आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति को कठोर कर सकती है।
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इकोनॉमी ग्रोथ के लिए की थी कटौती
आरबीआई ( reserve bank of india ) ने बताया कि ग्राहकों को राहत देने के लिए बैंक की ओर से ये विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में आरबीआई की मौद्रिक नीतियों और कर्ज देने के नियमों में ढील दिए जाने के कारण इकोनॉमिक ग्रोथ को सहारा मिला है। इसके अलावा लोकसभा चुनावों के कारण राजकोषीय खर्च भी बढ़ा है, जिसके कारण इकोनॉमी को सहारा मिला है।
खाद्य महंगाई में हो सकती है बढ़ोतरी
आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट के मुताबिक, जून के बाद से खाद्य महंगाई में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा तेल की कीमतें में भी भारी उछाल देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में यह 5 फीसदी को पार कर सकता है और इस साल 4.2 फीसदी के औसत पर बना रहेगा। अगले साल 2020 में यह 5.3 फीसदी तक पहुंच सकता है।