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समिति ने अपने बयान में कहा, “एमपीसी के निर्णय में मुद्रास्फीति निकट अवधि में बढ़ रही है, लेकिन इसके 2020-21 की दूसरी तिमाही से लक्ष्य के अंदर रहने की संभावना है।” एमपीसी के अनुसार, दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक मुद्रास्फीति के परिणाम मोटे तौर पर अनुमानों के अनुरूप विकसित हुए हैं। इनका औसत 3.5 फीसदी है, लेकिन अक्टूबर के लिए मुद्रास्फीति अपेक्षा से बहुत अधिक है।
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नवंबर में वृहद-आर्थिक आंकड़ों से पता चला है कि खाद्य कीमतों में पर्याप्त वृद्धि ने भारत की अक्टूबर खुदरा मुद्रास्फीति को सितंबर की 3.99 फीसदी के मुकाबले अक्टूबर में 4.62 फीसदी तक बढ़ा दिया है। इन आंकड़ों ने संकेत दिया कि खुदरा मुद्रास्फीति के स्तर ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को चार फीसदी तक बढ़ा दिया है। इसके लिए दो फीसदी बढ़ोतरी या गिरावट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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आरबीआई की मौद्रिक समिति के बयान में कहा गया, “मुद्रास्फीति का ²ष्टिकोण कई कारकों से प्रभावित होने की संभावना है। सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव तत्काल महीनों में जारी रहने की संभावना है। आयात के जरिए आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार को फरवरी 2020 की शुरुआत में सब्जियों की कीमतों में नरमी लाने में मदद करनी चाहिए।”
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बयान में कहा गया, “इन कारकों को ध्यान में रखते हुए 2019-20 की दूसरी छमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1-4.7 फीसदी और 2020-21 की पहली छमाही के लिए 4.0-3.8 फीसदी तक संशोधित किया गया है, जिसमें जोखिम काफी हद तक संतुलित है।” आरबीआई ने गुरुवार को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए खुदरा मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रमुख ब्याज दरों को कम करने में अस्थायी ठहराव लिया है।