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इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि राजीव कुमार को वित्त सचिव बनाया जाता है, या मौजूदा राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय को, क्योंकि दोनों एक दिन 21 अगस्त, 1984 को भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े थे। पिछले कुछ दिनों से यह पद खाली पड़ा था, क्योंकि पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का ट्रांसफर दूसरे मंत्रालय में कर दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया था। गर्ग ने बाद में सफाई भी दी थी कि उनके वीआरएस का संबंध ट्रांसफर से कतई नहीं है।
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वहीं दूसरी ओर वित्त सचिव का पद इसलिए भी भरना जरूरी था, क्योंकि जालान समिति में भी में मेंबर के रूप में हैं। जालान समिति में वित्त सचिव का अहम रोल है और सरकार का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं। ताकि आरबीआई से ज्यादा से ज्यादा फंड हासिल किया जा सके। जालान खुद भी कह चुके हैं कि जब तक वित्त सचिव मीटिंग में नहीं आते हैं तब तक किसी भी निर्णय में पहुंच पाना काफी मुश्किल है। वहीं सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी में लाने और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए आरबीआई से मिलने वाले फंड पर निर्भर है।
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