मूडीज ने बुधवार को यह जानकारी दी। मूडीज ने कहा, “एचएफसीज और एनबीएफसीज द्वारा संपत्ति गिरवी रख दिए गए कर्जे ( एलएपी ) तथा परिसंपत्ति प्रबंधन में दिसंबर 2018 तक 8.3 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि इसके पिछले छह महीने में इसमें 15.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।”
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मूडीज के अनुसार, अगले कुछ महीनों में एनबीएफसीज और एचएफसीज द्वारा एलएपी कर्ज दिए जाने में तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि उनके लिए परिचालन वातावरण चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, क्योंकि उन्हें वित्त हासिल करने में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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मूडीज ने एक टिप्पणी में कहा, “भारतीय गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसीज) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसीज) अब सूक्ष्य और लघु और मध्यम आकार के उद्यमों को संपत्ति गिरवी रखकर देने वाले कर्ज (एलएपी) से हाथ खींच रही हैं, जिसका कारण देश के वित्तीय क्षेत्र में जारी तरलता का संकट है।”