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बजट से उद्योग जगत को है ये उम्मीदें, क्या निर्मला सीतारमण कर पाएंगी पूरी

एजुकेशन सेक्टर से लेकर एमएसएमई तक सभी को है बजट से आस
उद्योग जगत की है चाहत, आर्थिक मंदी को दूर करने वाला हो बजट
स्टार्टअप के लिए किस तरह के होंगे बजट में प्रावधन, क्या होगी रणनीति

Jan 23, 2020 / 05:45 pm

Saurabh Sharma

Industry has these expectations from budget 2020, FM able to fulfill

नई दिल्ली। देश मौजूदा समय में आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में आगामी बजट 2020 सत्र का महत्व काफी बढ़ गया है। उद्योग जगत में अब इस बात की उत्सुकता काफी बढ़ गई है कि देश की वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण के बहीखाते में से आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए आखिर कौन सी नीतिया निकलेगी। वहीं कई सेक्टर्स को निर्मला के बजट से काफी उम्मीदें भी है। एजुकेशन सेक्टर, स्टार्टअप, इंफ्रास्ट्रक्चर,ट्रैवल, डेयरी और आईटी से जुड़े कई लोगों को इस बार बजट से ऐसी कई घोषणाओं की उम्मीदें हैं, जिससे मार्केट में बूस्ट देखने को मिल सके। एक बार फिर से उपभोक्ताओं के हाथों में रुपया और वो खर्च करने की हिम्मत जुटा सकें। ताकि देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर उद्योग जगत को बजट 2020 से क्या उम्मीदें हैंज्

ट्रैवल सेक्टर को और सक्षम बनाए सरकार
क्लियरट्रिप के सीएफओ इंद्रनील दत्त का कहना है कि सरकार को आगामी बजट में वैश्विक बेंचमार्क के प्रति घरेलू बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान लाना चाहिए। हम यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार विमानन उद्योग की चुनौतियों का समाधान करेगी जो पहले से ही 2019 में एक मुश्किल साल बिता चुका है। विमानन इकोसिस्टम में सभी हितधारकों में एयरलाइन सबसे कम मार्जिन के साथ काम करती हैं। यह टीसीएस के साथ मिलकर, कई परिचालन कठिनाइयों को जन्म देते हुए, एयरलाइनों की कार्यशील पूंजी में बाधा उत्पन्न करता है। ये बाधाएं न केवल हितधारकों और सेवा प्रदाताओं बल्कि उपभोक्ताओं को भी प्रभावित कर रही हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार खुले विचारों वाली बनी रहेगी और ट्रैवल सेक्टर को और सक्षम बनाने के लिए आवश्यक सुधार लाते हुए अपनी पिछले कामों की गति को बनाए रखेगी।

व्यक्तिगत कराधान में हो कटौती
जनरेशन ज़ेड के लिए भारत का एकमात्र 100 फीसदी टॉक्सिक मुक्त ब्रांड सुपर स्मेली की सह-संस्थापक दीपाली माथुर दयाल के अनुसार देश की धीमी आर्थिक वृद्धि पर चिंता करने के साथ, इस बार उम्मीद एक सशक्त बजट की है। उन्हें उम्मीद है कि बजट दो स्तरों पर काम करेगा, एक तो व्यक्तिगत कराधान में कटौती, एलटीसीजी के उन्मूलन जैसे कदम उठाकर उपभोग को बढ़ाना, और दूसरा कंपनियों की निचली पंक्ति में सुधार करके और लघु उद्योगों और स्टार्टअप के लिए किफायती वित्त के साथ ऋण उपलब्ध कराना। जीएसटी को व्यवसायों से भारी अनुपालन की आवश्यकता है, उन्हें उम्मीद है कि सरकार व्यापार के लिए कम से कम पहले तीन वर्षों के लिए अनुपालन बोझ को कम करेगी।

एसएमई में ध्यान देने की जरुरत
महिलाओं के लिए भारत का सबसे बड़ा कंटेंट शेयरिंग प्लेटफॉर्म मॉम्स्प्रेसो.कॉम के सीईओ और सह-संस्थापक विशाल गुप्ता का कहना है कि जो चुनौती हमारे सामने है वह कार्यशील पूंजी को लेकर है। कोई भी चीज जो अल्पकालिक ऋण को आसान बनाती है जैसे कि बिल में छूट देना, उससे निश्चित रूप से हमारी इच्छानुसार गति से व्यवसाय को बढ़ाना आसान हो जाएगा। वहीं कॉमिक कॉन इंडिया के संस्थापक जतिन वर्मा के अनुसार बजट में एसएमई पर ध्यान दिया जाएगा, खासकर कार्यक्रमों और मनोरंजन उद्योगों में। अगर किसी बुनियादी ढांचे के खर्चों में लाइव इवेंट के लिए एरेना/स्पेस पर खर्च करना भी शामिल हो सकता है। यह उद्योग की मदद करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।

ऋण सुविधाओं के विकास और सहूलियत पर अधिक ध्यान केंद्रित करे सरकार
भारत का पहला ऊंट के दूध का ब्रांड आद्विक फूड्स के सह-संस्थापक श्रेय कुमार के अनुसार इस साल के बजट से बहुत सारी उम्मीदें हैं। हम चाहेंगे कि सरकार छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए ऋण सुविधाओं के विकास और सहूलियत पर अधिक ध्यान केंद्रित करे। बहुत सारी योजनाएं पहले से ही उपलब्ध हैं लेकिन प्रक्रियाओं को सरल और अधिक कुशल बनाया जाना चाहिए। डेयरी उद्योग सीधे किसानों की आय और आजीविका को प्रभावित करता है। भारत से डेयरी उत्पादों के लिए निर्यात नियमों पर देशों के साथ बातचीत की जानी चाहिए और भारतीय डेयरी कंपनियों को इन देशों में उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उपभोक्ताओं की खरीदी क्षमता बढ़ाने के कदम भी समग्र एफएमसीजी बाजार को ज़रूरी बढ़ावा देने में सहायक होंगे।

युवाओं पर ध्यान देने की जरुरत
प्रतिभा की कमी को दूर करने और स्टार्टअप और उद्यम को कुशल इंजीनियर देने वाला प्लेटफार्म ब्रिजलैब्ज़ के संस्थापक नारायण महादेवन का कहना है कि सरकार युवाओं की कुशलता बढ़ाने और कुशल बनाने के लिए आगे बढ़ते समर्थन पर ध्यान केंद्रित करके मिसाल कायम करे। सरकार को उन विभिन्न स्टार्टअप्स और फर्मों का भी समर्थन करना चाहिए, जो वर्तमान में भारतीय युवाओं को रोजगार देने और भविष्य में उन तकनीकों की चुनौतियों का सामना करने में मदद करने में लगे हुए हैं। उन संगठनों पर विशेष ध्यान और समर्थन दिया जाए, जो अनुभवात्मक शिक्षण के साथ एक रोजगार योग्य पूल बनाते हैं, और उद्योग-आधारित लाइव मेंटरशिप महत्वपूर्ण है ताकि इकोसिस्टम की कमी को दूर किया जा सके। हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार शिक्षा नीतियों की दिशा में काम करेगी और इंजीनियरिंग और आईटी क्षेत्र में व्यापक बदलाव में लाने के लिए संगठनों का समर्थन करके इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मदद करेगी।

एजुेकेशन सेक्टर में वित्तीय सहायता की जरुरत
नेक्स्ट एजुकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक, और सीईओ ब्यास देव रल्हान के अनुसार इस वर्ष यह उम्मीद है कि शिक्षा के लिए अधिक वित्तीय सहायता का वादा किया जाएगा। कक्षा के माहौल में तकनीक का प्रबल परिचय और मुख्यधारा की शिक्षा के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बुनना काफी आगे की बात है। भारत को तकनीक के वैश्विक प्रसार के साथ खुद को एकीकृत करने की आवश्यकता है। एसटीईएम में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए शिक्षा में रोबोट्स की शुरुआत करना, शिक्षा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बचपन की शिक्षा पर जोर देना और यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण कारक हैं कि कोई भी बच्चा पीछे न रहे। नई शिक्षा नीति ने व्यापक शिक्षक प्रशिक्षण को प्राथमिकता दी है और आने वाले वर्षों में इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना भारत की शैक्षणिक संस्कृति को विकसित करने का एक महत्वपूर्ण पहलू होगा।

छात्र धन की कमी के कारण अपनी पढ़ाई न छोड़े
शेमफोर्ड ग्रुप ऑफ़ फ्यूचरिस्टिक स्कूल के वाइस चेयरमैन और एमडी अमोल अरोड़ा का कहना है कि मौजूदा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह न केवल अल्पकालीन आर्थिक संकट को दूर करे बल्कि दीर्घावधि के लिए भी देश की अर्थव्यवस्था को देखने की ज़रूरत है। शिक्षा, विशेष रूप से प्रारंभिक शिक्षा, सबसे महत्वपूर्ण निवेश है जो कोई देश कर सकता है। शिक्षा-रोजगार की खाई को कम करने और विश्व स्तरीय कुशल कार्यबल विकसित करने में मदद करने के लिए, हमें एड-टेक कंपनियों को सबसे आगे लाने की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण समय है कि सरकार आगामी केंद्रीय बजट में इस क्षेत्र को उचित मान्यता और बढ़ावा दे। यह भी उम्मीद है कि समकालीन और उभरते रुझानों को एनईपी 2020 के साथ पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। 2019 के केंद्रीय बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए 94,853.64 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, पिछले वर्ष से लगभग 10,000 करोड़ रुपए ज्यादा हैं। स्कूल सेक्टर को, 56,536.63 करोड़ रुपए और बाकी 38,317.01 करोड़ रुपए उच्च शिक्षा के लिए आवंटित किए गए थे। आगामी बजट में यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए कि कोई भी छात्र धन की कमी के कारण अपनी पढ़ाई न छोड़े।

स्टार्टअप्स में निवेश को प्रोत्साहित करने की जरुरत
गोलवाइस.कॉम के सीआईओ और सह-संस्थापक अंकुर चौधरी का कहना है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए बजट से काफी उम्मीदें हैं। सरकार को वित्तीय समावेश में तेजी लाने के लिए विशेष रूप से फिन-टेक क्षेत्र के स्टार्टअप्स में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए और काम करना चाहिए। बैंकों, निवेशों और बीमा के लिए एक आम केवाईसी उस लक्ष्य को बढ़ावा देने के लिए काफी कुछ करेगा। विकास को स्थिरता और स्पष्टता प्रदान करने और उचित परामर्श के बिना अचानक परिवर्तन नहीं करने के लिए विनियमन की ज़रूरत है। पर्सनल फाइनेंस के मोर्चे पर, इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करना काफ़ी समय से बाकी है। साथ ही, हम उम्मीद कर रहे हैं कि धारा 80सी के तहत आयकर कटौती की सीमा 2 लाख हो जाएगी।

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