इस महीने EPFO भेजेगा ब्याज का पैसा, जानें कैसे चेक करें PF का बैलेंस कब कटता है TDS
अगर कोई कर्मचारी 5 साल की अवधि से पहले अपना पीएफ (Provident Fund) निकाल लेता है तो उसे ईपीएफ निकालते समय टैक्स भरना पड़ता है। ये रकम पर भी निर्भर करती है। 50 हजार से ज्यादा रुपए निकालने पर 10 फीसदी TDS देना होता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में एंप्लायर का कॉन्ट्रिब्यूशन, इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में आ जाता है। ऐसे में दोनों के जो ब्याज मिलते हैं वह टैक्सेबल होते हैं। इससे बचने के लिए एक खास फॉर्म की जरूरत होगी।
अगर कोई कर्मचारी 5 साल की अवधि से पहले अपना पीएफ (Provident Fund) निकाल लेता है तो उसे ईपीएफ निकालते समय टैक्स भरना पड़ता है। ये रकम पर भी निर्भर करती है। 50 हजार से ज्यादा रुपए निकालने पर 10 फीसदी TDS देना होता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में एंप्लायर का कॉन्ट्रिब्यूशन, इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में आ जाता है। ऐसे में दोनों के जो ब्याज मिलते हैं वह टैक्सेबल होते हैं। इससे बचने के लिए एक खास फॉर्म की जरूरत होगी।
दिवाली से पहले पेंशनर्स को मिल सकती है खुशखबरी! दोगुनी पेंशन होने की उम्मीद फॉर्म 15G और 15H से बचाएं टैक्स
15G और 15H एक सेल्फ-डेक्लेरेशन फॉर्म है। इसमें एक व्यक्ति घोषित करता है कि उसकी इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है। इसकी वैधता एक साल के लिए होती है। चूंकि PF में योगदान के चार कंपोनेंट होते हैं। इनमें इम्प्लाई का योगदान, कर्मचारी के जरिए जमा कराई गई रकम और दोनों पर ब्याज शामिल होता है। मगर इस फॉर्म को सबमिट करने से इस पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना पड़ता है।
15G और 15H एक सेल्फ-डेक्लेरेशन फॉर्म है। इसमें एक व्यक्ति घोषित करता है कि उसकी इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है। इसकी वैधता एक साल के लिए होती है। चूंकि PF में योगदान के चार कंपोनेंट होते हैं। इनमें इम्प्लाई का योगदान, कर्मचारी के जरिए जमा कराई गई रकम और दोनों पर ब्याज शामिल होता है। मगर इस फॉर्म को सबमिट करने से इस पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना पड़ता है।