यह भी पढ़ेंः- SBI के सिर्फ 20 फीसदी कर्जदारों ने ली Loan Moratorium की सुविधा, बैंक ने जारी किए रोचक आंकड़े
इस तरह से कम होती है आपकी ईएमआई
बैंक के अनुसार एक जुलाई 2010 और 1 अप्रैल 2016 के पहले लिए गए सभी तरह के होम लोन बेस रेट पर टिके हुए हैं। इस संबंध में देश के बैंकों को आजादी मिली हुई है कि वे कॉस्ट ऑफ फंड्स की गणना औसत फंड कॉस्ट के हिसाब से करें या एमसीएलआर के हिसाब से तय करें। जानकारों की मानें तो हर महीने जो किस्त चुकाई जाती है उसमें ब्याज के साथ प्रिंसीपल अमाउंट भी होता है। यह प्रिंसीपल अमाउंट आपके वास्तविक प्रिंसीपल अमाउंट से घटाया जाता है। हर महीने ब्याज की रकम कम और प्रिंसीपल अमाउंट की रकम बढ़ जाती है। ज्यादातर बैंक मंथली रिड्यूसिंग बैलेंस बेस्ड अप्रोच को अपनाते हैं।
यह भी पढ़ेंः- Gold And Silver Price: दो महीने में 3000 रुपए तक सस्ता हो सकता है Gold, क्या है बड़ी वजह
रेपो दरों में 40 आधार अंकों की कटौती
शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर ने घोषणा करते हुए रेपो रेट में 40 आधार अंक और रिवर्स रेपो रेट में 35 आधार अंकों की कटौती की है। लॉकडाउन पीरियड के दौरान यह दूसरा मौका है तब आरबीआई की ओर से रेपो दरों में बड़ी कटौती की है। इससे पहले मार्च में रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कटौती की थी। इसका मतलब ये हुआ कि एसबीआई लॉकडाउन में ब्याज दरों 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है। वहीं दूसरी ओर आरबीआई की ओर से लोन मोराटोरियम पीरियड को जून से 31 अगस्त 2020 तक के लिए बढ़ा दिया है।