जूट की खेती को बढ़ावा देने और इसके उत्पादन करने वाले किसानों (Jute Farmers) की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कैबिनेट कमेटी आन इकोनॉमिक्स अफेयर्स (Cabinet Committee on Economic Affairs) की बैठक हुई। इस बारे में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने बताया कि अनाज और चीनी की पैकेजिंग में जूट का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे जूट तैयार करने वाले किसानों और कामगारों को लाभ होगा। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी। साथ ही रोजगार के नए अवसर बनेंगे। माना जा रहा है कि सरकार के इस नए ऐलान से जूट सेक्टर में काम करने वाले करीब 3.7 लाख कामगारों और लाखों किसानों को फायदा होगा।
इन राज्यों के कामगारों को होगा ज्यादा लाभ
सरकार के इस फैसले से पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में रहने वाले किसानों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। क्योंकि इन सभी राज्यों में जूट का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। जूट परियोजना, आईकेयर के अंतर्गत तीन एजेंसियां – भारतीय पटसन निगम (जेसीआई), राष्ट्रीय जूट बोर्ड (एनजेबी) और सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जूट एंड एलाइड फाइबर्स (सीआरआईजेएएफ) के जरिए जूट की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार के लिए आधुनिक कृषि-विज्ञान के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है।
सरकार के इस फैसले से पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में रहने वाले किसानों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। क्योंकि इन सभी राज्यों में जूट का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। जूट परियोजना, आईकेयर के अंतर्गत तीन एजेंसियां – भारतीय पटसन निगम (जेसीआई), राष्ट्रीय जूट बोर्ड (एनजेबी) और सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जूट एंड एलाइड फाइबर्स (सीआरआईजेएएफ) के जरिए जूट की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार के लिए आधुनिक कृषि-विज्ञान के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है।
6500 करोड़ सालाना होते है खर्च
जूट उद्योग को बढ़ावा देने एवं कामगारों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए सरकार जूट की बोरियों का इस्तेमाल पैकेजिंग के लिए करती हैं। जूट उद्योग का विकास पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है इसलिए खाद्यान्न की पैकिंग के लिए सरकार हर साल 6500 करोड़ रुपये से भी अधिक कीमत की जूट की बोरियां खरीदती है।
जूट उद्योग को बढ़ावा देने एवं कामगारों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए सरकार जूट की बोरियों का इस्तेमाल पैकेजिंग के लिए करती हैं। जूट उद्योग का विकास पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है इसलिए खाद्यान्न की पैकिंग के लिए सरकार हर साल 6500 करोड़ रुपये से भी अधिक कीमत की जूट की बोरियां खरीदती है।