खुद उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan ) 27 जुलाई को बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इसका ऐलान करेंगे । यह यह अपने आप में एक पहल है दरअसल ये पहली बार होगा जब इकॉमर्स साइट्स के ऊपर किसी तरह का कोई नियम लागू किया जा रहा है इससे पहले Consumer Protection act 1986 के तहत इन कंपनियों के ऊपर किसी तरह की गाइडलाइंस नहीं लागू होती थी ।
इस कानून के तहत सरकार ने प्रावधान किया है कि ऑनलाइन शॉपिंग ( Online Shopping ) करते समय अगर किसी भी कस्टमर के साथ किसी तरह की धोखाधड़ी होती है तो उस पर दंड का प्रावधान होगा ।हाल के दिनों में ई-कॉमर्स साइट ( E Commerce Site ) द्वारा धोखाधड़ी की खबरें काफी बढ़ चुकी है जिसके मद्देनजर सरकार ने यह फैसला लिया है ,दूसरी वजह यह भी है की ऑनलाइन शॉपिंग ( Online Shopping ) का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में इन कंपनियों के लिए कुछ नियम बनाना जरूरी हो जाता है ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों ( Consumer Rights ) की सुरक्षा की जा सके ।
सरकार का दावा है कि इस कानून से कस्टमर्स को न सिर्फ सहूलियत मिलेगी बल्कि उनके अधिकारों में भी वृद्धि होगी ।नए उपभोक्ता कानून के तहत कंपनियों को कस्टमर्स के हितों का ख्याल रखना जरूरी हो जाएगा फिर चाहे वह देश में रजिस्टर्ड हो या नहीं ।इसके साथ ही इन कंपनियों पर जुर्माने और सजा के प्रावधान भी किए गए हैं ।
अगर कोई कस्टमर ऑर्डर बुक करता है और बाद में कैंसिल ( Order Cancel ) कर देता है तो ई-कॉमर्स कंपनियां किसी तरह का चार्ज वसूल नहीं करेंगी वहीं दूसरी और घटिया सामान डिलीवर करने पर इन कंपनियों के ऊपर जुर्माने का प्रावधान किया गया है
कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कंपनियों को रिफंड ( Refund ), एक्सचेंज ( Exchange ) गारंटी-वारंटी यह सभी जानकारी अपनी साइट पर उपलब्ध करानी होगी , और उन्हें इसके साथ ही यह भी बताना होगा कि जो प्रोडक्ट सेल कर रही है वह किस देश में बना है । अगर कंपनियां कस्टमर्स को अट्रैक्ट करने के लिए कम दाम के बाद अलग से है रन चार्जेस लगाएंगे तो उसके लिए भी उन पर शिकंजा कसा जा सकता है।