यह भी पढ़ेंः- लोकसभा चुनाव 2019 तीसरा चरण: आज चुनावी मैदान में होंगे 392 करोड़पति उम्मीदवार, 11 के पास नहीं एक भी रुपया
इस मामले में भी होगा बदलाव
इसके अलावा एक बड़ा बदलाव यह होगा कि सावधि ऋण और ‘कैश क्रेडिट’ एक को बराबर माना जाएगा। चूक के नियम सावधि ऋणों पर लागू थे, न कि कैश क्रेडिट सीमा पर। कैश क्रेडिट के मामले में चूक तभी मानी जाती है, जब बकाया राशि लगातार 30 दिन से ज्यादा समय तक स्वीकृत सीमा से अधिक रहती है। संशोधित परिपत्र में सावधि ऋण के मामले में भी लगातार 30 दिन की अवधि को शामिल किया जाएगा। इससे उद्योग जगत के साथ ही कर्जदाता बैंकों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। बता दें कि 12 फरवरी 2018 के मूल परिपत्र के तहत मूलधन या ब्याज भुगतान में एक दिन की भी चूक होने की स्थिति में बैंकों को संबंधित खाते को विशेष उल्लेख वाले खाते ( एसएमए ) के तौर पर वर्गीकृत करने का निर्देश था।
यह भी पढ़ेंः- जेट एयरवेज संकटः कंपनी को दिवाला कानून के तहत पहला नोटिस, एनसीएलटी जाने की चेतावनी
बैंकों ने बताई थी समस्या
एक सूत्र ने कहा कि बैंकों ने बैंकिंग नियामक के समक्ष यह मसला उठाया गया कि बड़ी कंपनियों, खास तौर पर जो कंपनियां सरकार के भुगतान पर निर्भर रहती हैं, वहां कर्ज भुगतान में एक दिन की चूक पर नजर रखना कठिन है। बुनियादी ढांचा (इन्फ्रासट्रक्चर) क्षेत्र की कंपनियों के मामले खासतौर पर ऐसी समस्या सामने आती है।
Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार, फाइनेंस, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट, म्युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.