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समिति के अध्यक्ष बिमल जालान ने बताया, “आरबीआई फैसला करेगा कि सही मायने में क्या किया जाना चाहिए। लिहाजा, मैं इस वक्त कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। आरबीआई और सरकार द्वारा इस खालीपन को भरने पर फैसला किया जाएगा।” उन्होंने कहा, “मैं उसमें शामिल नहीं हूं।” उनसे जब पूछा गया कि क्या समिति की बैठक फिर होगी तो उन्होंने कहा, “प्रबल संभावना है।”
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अभी तक जो स्थिति है, उसमें पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का तदाबला विद्युत मंत्रालय में होने के बाद समिति की दोबारा बैठक हो सकती है। हालांकि इस बात की अभी पुष्टि नहीं की जा सकती है। यह सुनिश्चित नहीं हो सका है कि पिछली बैठक में जो तय हुआ था, उसी की रिपोर्ट पर सरकार के नए मनोनीत सदस्य का हस्ताक्षर करा लिया जाएगा, या वित्त मंत्रालय से मनोनीत किए जाने वाले नए सदस्य के साथ उसी मुद्दे पर फिर से विचार-विमर्श किया जाएगा। वित्त मंत्रालय में गर्ग की जगह अतनू चक्रवर्ती आर्थिक मामलों के सचिव बने हैं।
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सरकार ने अभी तक नए वित्त सचिव के नाम की घोषणा नहीं की है, जबकि वित्त मंत्रालय में बैंकिंग सचिव राजीव कुमार सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। आरबीआई की आर्थिक पूंजी रूपरेखा पर बिमल जालान समिति विचार-विमर्श पूरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली थी, लेकिन समिति को गर्ग का तबादला होने के बाद मनोनीत सदस्य बदलने पर सरकार के फैसले का इंतजार करना होगा।
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गर्ग छह सदस्यीय इस समिति में शामिल थे, और वह अकेले ऐसे सदस्य थे, जिन्होंने समिति के फैसले का विरोध करते हुए उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था और अपनी असंतुष्टि की एक टिप्पणी दी थी। हालांकि समिति ने असंतुष्टि संबंधी टिप्पणी को शामिल कर रिपोर्ट को मंजूरी देने का फैसला किया। विद्युत सचिव का कार्यभार संभालने के बाद गर्ग ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट पर इसलिए हस्ताक्षर नहीं किया, क्योंकि उसे अंतिम रूप नहीं दिया गया था।
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आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की बैठक 16 अगस्त को होगी। पिछली बार समिति की बैठक 18 जुलाई को हुई थी, जिसमें आरबीआई द्वारा सरकार को किए जाने वाले हस्तांतरण की राशि पर फैसला किया गया था। तय राशि का हस्तांतरण एक बार में न कर के तीन से पांच साल की अवधि के दौरान किए जाने पर सहमति बनी थी, जिसका गर्ग ने विरोध किया था।
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