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Budget 2019: 35 साल के बाद होगी उत्तराधिकार टैक्स की वापसी!

Budget 2019: 1985 में समाप्त किए गए उत्तराधिकार कर को सरकार बजट में एक बार फिर से लागू कर सकती है। सरकार का यह कदम कालेधन को रोकने के लिए लाया जा रहा है।

Jul 04, 2019 / 07:32 am

Saurabh Sharma

Budget 2019: 35 साल के बाद होगी उत्तराधिकार टैक्स की वापसी!

नई दिल्ली। उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्तियों, गहनों, शेयर, मियादी जमा राशि, बैंक में जमा रकम (नकदी) पर आगामी बजट में उत्तराधिकार कर ( inheritance tax ) लगाया जा सकता है। इस कदम से संसाधनों में वृद्धि नहीं होगी, लेकिन इससे सरकार की गरीब हितैषी नीति का बल मिलेगा। साथ ही कालाधन ( black money ) पर रोक लगाई जा सकेगी। दुनिया में यूके में ही उत्तराधिकार कर वसूला जाता है। जानकारों की मानें तो इस टैक्स से सुस्त इकोनॉमी को और नुकसान होगा, लेकिन वित्त मंत्रालय ( finance ministry ) इसे मजबूत व समावेशी कदम के रूप में पेश कर सकता है, ताकि अमीर उत्तराधिकार के जरिए ज्यादा संपत्ति हासिल न कर सकें क्योंकि इससे देश में धन के वितरण में गड़बड़ी पैदा होती है।

अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार कर लगाने का यह सही समय है, जिससे लोग सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों और जन कल्याण के ट्रस्टों को दान देने से बच सकते हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि सरकार उत्तराधिकार में प्राप्त जायदाद और नकदी की संपत्ति पर 35 साल बाद संपत्ति कर दोबारा लागू करने पर विचार कर रही है। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 2005 में 10,000 रुपए से अधिक की नकदी की निकासी पर 0.1 फीसदी नकदी हस्तांतरण कर लगाया था। इस सीमा को बाद में बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दिया गया था। इस मामले में कर संग्रह कम होने के कारण 2009 में इसे खत्म कर दिया गया।

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कई देशों में उत्तराधिकारियों को अपने पूर्वजों या रिश्तेदारों व मित्रों से प्राप्त जायदाद या संपत्ति पर उत्तराधिकार कर अदा करना पड़ता है। वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में किसी वसीयत के तहत हस्तांतरण या उपहार कर के दायरे में प्राप्त विरासत के हस्तांरण के मामले को स्पष्ट रूप से अलग कर दिया गया है। तदनुसार, भारतीय कानून में उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पर कर का प्रावधान नहीं है। उत्तराधिकार कर को 1985 में समाप्त कर दिया गया था।

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कर मामलों के विशेषज्ञ वेद जैन के अनुसार उत्तराधिकार कर को जागीर शुल्क कहा जाता है। यह संपत्ति कर ही है। पिता से उनकी संतान को प्राप्त सभी संपत्तियों में से उनके दायित्व को हटाकर शेष को इसमें शामिल किया जाता है।” उन्होंने कहा, “प्रतिघात से बचने के मकसद से अगर नया कर लागू किया जाता है तो सरकार 10 करोड़ रुपए से अधिक की उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पर पांच या 10 फीसदी कर लगा सकती है। यह बड़ी रकम भले ही न हो लेकिन भारत में कितने लोगों के पास 10 करोड़ की संपत्ति है।”

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उन्होंने कहा, “उत्तराधिकार के लिए बड़ी चुनौती कर अदा करने के लिए नकदी की है। अगर किसी के पास एक कंपनी की 50,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर हैं और अगर आप 5,000 करोड़ रुपये कर चुकाते हैं तो व्यक्ति को कर चुकाने के लिए शेयर बेचने होंगे।” जैन ने कहा, “100 करोड़ रुपये की संपत्ति के लिए 10 करोड़ रुपये कर अदा करना होगा। कोई कहां से कर अदा करेगा? “

 

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