इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने बैंकों और पोस्ट ऑफिस को वेरिफिकेशन सुविधा दे रखी है। जिसके तहत वे ऐसे ग्राहकों का PAN नंबर डालकर ITR स्टेटस चेक कर सकेंगे जिन्होंने कैश निकाला है। इतना ही नहीं बैंक और पोस्ट ऑफिस, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194N के तहत TDS का रेट भी तय कर सकेंगे। अगर कैश विड्रॉल करने वाले ने बीते 3 साल में एक बार भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है और उन्होंने प्रति वित्तीय वर्ष 20 लाख रुपए से ज्यादा की रकम निकाली है तो उन्हें 2 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। जबकि 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी पर 5 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा।
नियमों में इन बदलावों के पीछे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि पिछले कुछ समय के आंकड़ों की जांच में पाया गया कि ऐसे कई लोग हैं जो कई बार ज्यादा अमाउंट में कैश निकालते हैं, लेकिन वे टैक्स नहीं भरते हैं। इसी के चलते बैंकों और पोस्ट ऑफिस को इसमें शामिल किया गया है। डिपार्टमेंट ने “आईटीआर फाइलिंग कम्प्लायंस चेक” फैसिलिटी में कॉमर्शियल बैंकों को भी जोड़ा है जिससे बड़े पैमाने पर इस पर नजर रखी जा सके। वे पैन नंबर के जरिए कस्टमर का आईटीआर स्टेटस चेक कर सकेंगे।