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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ 11 अक्टूबर को 7,000 करोड़ रुपये के एफपीओ कार्यक्रम के बारे में पहली बार रिपोर्ट की गई थी ( बजट 2020 से उम्मीदें )। पिछले बजट ( Farmers budget ) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किया गया एक वादा जहां सरकार को 10,000 ऐसे एफपीओ के पोषण में मदद की उम्मीद है ( PM-KISAN fund )।
ये एफपीओ – छोटे और सीमांत किसानों के संगठित समूह – किसानों को बेहतर बाजार पहुंच और सामूहिक सौदेबाजी शक्ति के माध्यम से अपनी आय में सुधार करने में मदद करेंगे। कृषि मंत्रालय फंड, हैंडहोल्ड, ट्रेन, आसान क्रेडिट सुनिश्चित करेगा और एफपीओ को अन्य सहायता प्रदान करेगा ताकि उन्हें व्यवहार्य बनाया जा सके। सरकार उन्हें बेहतर उत्पादन के लिए तकनीकी हस्तक्षेप भी प्रदान करेगी।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “एफपीओ के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वो पैसे की है यानी ( क्रेडिट क्रंच ), मतलब सरकार को ये योजनायों लागू करने के लिए काफी पैसे की ज़रूरत है और बैंक उन्हें असुरक्षित रिटर्न के कारण ऋण नहीं देते हैं”। अगर इन योजनाओं के लिए पैसे नहीं मिल पाते हैं तो इस साल के किसान बजट फंड में 20 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है।
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आपको बता दें कि हर साल बजट में किसानों को लेकर किए जाने वाले ऐलानों पर सबकी नज़र रहती है क्योंकि खेती किसानी ही इस देश की अर्थव्यवस्था की नीव है। आपको बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत आबादी की आजीविका का मुख्य स्रोत खेती किसानी ही है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था की बात करें तो जीडीपी का 17 प्रतिशत भाग कृषि क्षेत्र से आता है जो तकरीबन देश की तकरीबन 60 प्रतिशत आबादी को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है। ऐसे में बजट 2020 पर सबकी नज़र है और किसानों को इससे काफी उम्मीदें हैं।