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कम ब्याज पर मिल रहा है ईसीबी
सूत्रों की मानें तो कंपनियों को बैंकों की तुलना में विदेशी एजेंसियों यानी ईसीबी से कम ब्याज पर कर्ज मुहैया हो रहा है। ऐसे में कंपनियों ने बैंकों की ओर कम जाना शुरू कर दिया है। आंकड़ों की मानें तो इस साल अक्टूबर में भारतीय कंपनियों का विदेशी कर्ज दुगुने से अधिक बढ़कर 3.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इसमें से 2.87 अरब डॉलर स्वत: मंजूरी वाले ईसीबी से और 53.8 करोड़ डॉलर मंजूरी वाले ईसीबी से जुटाए गए। कंपनियों ने अक्टूबर 2018 में 1.41 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लिया था।
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आखिर क्यों?
दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) जैसी कानूनी प्रक्रियाओं को देखते हुए घरेलू कंपनियां बैंक ऋण पर निर्भरता कम कर रही हैं। कानून कढ़े हो गए हैं। कंपनियां इन कढ़े कानूनों के चक्कर में नहीं फंसना चाहती है। जानकारों की मानें विदेशी एजेंसियों से भारतीय बैंकों के मुकाबले आसानी से और कम ब्याज पर कर्ज मिल रहा है। ऐसे में कंपनियां इन एजेंसियों को ज्यादा तरजीह दे रही है। बैंकों का रुपया समय पर ना चुकाने को लेकर कानून कढ़े कर दिए गए हैं। इन कढ़े कानूनों की प्रक्रिया से कोई नहीं गुजरना चाहता है।