10, 20, और 50 रुपये के नोटों का भी जालसाजी
इसके अलावा, आरबीआई ने 10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये के नोटों की जालसाजी में क्रमश: 20.2 फीसदी, 87.2 फीसदी और 57.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। वहीं, 100 रुपये के नोटों की जालसाजी में 7.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
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आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकिंग क्षेत्र में जिन नकली भारतीय नोट (एफआईसीएन्स) की पहचान की गई, उसमें से 5.6 फीसदी आरबीआई द्वारा और 94.4 फीसदी अन्य बैंकों द्वारा की गई। आरबीआई ने बताया कि 1 जुलाई 2018 से 30 जून 2019 के बीच नोटों की छपाई में कुल 48.11 अरब रुपये खर्च किए गए, जबकि पिछले साल इसमें 49.12 अरब रुपये खर्च किए गए थे।
नकली नोटों पर गलत है आरबीआई का नाम
पिछले साल भी कई ऐसे रिपोर्ट सामने आये थे जिसमें 500 रुपये के नकली नोटों का जिक्र हुआ था। इनमें कहा गया था कि नकली नोटों का कारोबार बढ़ गया है, खासतौर पर 500 रुपए के नोटों काे लेकर यह मामला तेजी से बढ़ रहा है। देश के एक बड़े पब्लिक सेक्टर बैंक के अधिकारी ने इसपर कहा कि, बाजार में 500 रुपए के नकली नोट सर्कुलेट हो रहे हैं जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का गलत नाम छपा है। इन नकली नोटों पर reserve bank of india की जगह Resurve Bank of India लिखा हुआ है।
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बैंकों के साथ-साथ एटीएम प्रबंधनाें को भी किया था सतर्क
इसको ध्यान में रखते हुए, बैंक कर्मचारियों को सतर्क कर दिया गया है और उन्हे कहा गया है कि इस तरह के नोटों पर वे खास ध्यान दें। साथ ही एटीएम में नकदी प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली सेवा प्रदाताओं को भी इस संबंध में सतर्क कर दिया गया है। गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद सरकार ने यह भी दलील दिया था कि नोटबंदी से नकली नोट रखने एवं बनाने वालों को झटका लगेगा।
वित्त वर्ष 18 में पकड़े गए थे सवा पांच लाख नकली नोट
पिछले साल अगस्त माह में, आरबीआई ने कहा था कि वित्त वर्ष 18 में कुल 5,22,783 नकली नोटों को सिस्टम से निकाला गया है। इसमें से केंद्रीय बैंक के अतिरिक्त 63.9 फीसदी नोटों का बैंकों ने पहचान किया था। ध्यान देने वाली बात है कि वित्त वर्ष 18 के पहले वाले वित्त वर्ष में कुल पहचान की जाने वाले नकली नोटों की संख्या काफी कम थी। वित्त 17 में केवल 4.3 फीसदी नकली नोटों की ही पहचान की गई थी