यह मंदिर झारखंड की रांजधानी रांची में है। इस मंदिर को पहाड़ी मंदिर ( pahari mandir ) के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर पौराणिक मान्यता के लिए विश्व विख्यात है। आइये जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें…
यहां स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाती थी फांसी बताया जाता है कि यहां आजादी से पहले अंग्रजों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी जाती थी। लोग बताते हैं कि जब देश आजाद हुआ था, तब रांची में सबसे पहला झंड़ा यहीं पर फहराया गया था। स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण चंद्र दास ने यहां झंड़ा फहराकर स्वतंत्रता सेनानियों के साथ आजादी का जश्न मनाया था।
भगवा के साथ शान लहराता है तिरंगा तब से ही इस मंदिर पर भगवा के साथ शान से तिरंगा लहराता है। भगवान शिव के इस मंदिर हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया जाता है। यहां पर आने वाले भक्तों को भगवान शिव का दर्शन करने के लिए 468 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।
‘फांसी गरी’ के नाम से जाना जाता था पहाड़ी मंदिर ब्रिटिशराज में भगवान शिव के इस स्थान को ‘फांसी गरी’ के नाम से जाना जाता था। हालांकि इसका नाम टिरीबुरु था। आज भी मंदिर की दिवारों पर स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखे हुए हैं। यहां आने वाले लोग भगवान को ही नहीं, शहीदों के सम्मान में भी सिर झुकाते हैं।
यहां शिव जी से पहले होती है नाग देव की पूजा रांची शहर के नगर देवता नाग देव हैं। दरअसल, नाग देव आदिवासियों के कुल देव भी हैं। यही कारण है कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले नग देव की मंदिर में जा कर पूजा करते हैं, उसके बाद भगवान शिव की आराधना करते हैं।