त्योहार

श्रीरामभक्त हनुमान से ऐसे पाएं मनचाहा आशीर्वाद, बंजरंगबली का दिन है मंगलवार

सप्ताह के सातों दिन का संबंध किसी न किसी ग्रह और उसके कारक देवता से…

Apr 21, 2020 / 12:36 am

दीपेश तिवारी

The best Tips to get blessings of lord hanuman

आज मंगलवार का दिन है। मंगल को ज्योतिष में ग्रहों का सेनापति माना गया है। वहीं यह व्यक्ति के उत्साह का कारक माना गया है। इस दिन के कारक देव श्रीहनुमान है, वहीं इस दिन मां दुर्गा के पूजन का भी विधान है।

ऐसे में आज हम आपको मंगल के कारक देव श्रीराम भक्त हनुमान को प्रसन्न करने के संबंध में बता रहे हैं। भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार श्रीहनुमान को कलयुग के देवता के रुप में भी जाना जाता है। वह सनातन धर्म के चिरंजीवियों में से एक हैं। कलयुग के प्रमुख देवों में होने से उनका प्रसन्न होना कई तरह की परेशानियों को हर लेता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार सप्ताह के सातों दिन का संबंध किसी न किसी ग्रह और उसके कारक देवता से है, जिसकी श्रद्धाव उपासना में हम व्रत तथा पूजा आदि करते हैं। मंगलवार से जुड़े व्रत व उपासना के पीछे भी यही कारण है। इसे हनुमानजी का विशेष दिवस माना जाता है, कहा जाता है इस दिन श्रीहनुमान का ध्यान करने से वह तुरंत प्रसन्न होकर भक्त पर अपनी कृपा बरसाते हैं।

वहीं यदि ज्योतिष शास्त्र को देखें भी तो मंगलवार का व्रत उन्हें जरूर करना चाहिए जिनकी कुंडली में मंगल गृह निर्बल हो और इसी कारण शुभ फल देने में असमर्थ हो। इस व्रत से उनकी कुंडली का मंगल ग्रह सुदृढ़कर शुभ फल देने वाला हो जाता है।

MUST READ : रामायण के वे दमदार पात्र जो महाभारत काल में भी रहे मौजूद

यह हैं मंगलवार व्रत से लाभ :
मान्यता के अनुसार मंगलव्रत से हनुमान जी की असीमकृपा प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार यह व्रत सम्मान,बल, साहस और पुरुषार्थ को बढाता है।संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बहूत फलदायक माना गया है। मान्यता के अनुसार इस व्रत से पापों से मुक्ति प्राप्त होती है साथ ही भूत-प्रेत व काली शक्तियों का दुष्प्रभाव इस व्रतकर्ता पर नहीं पड़ता है साथ ही बहूत सारे अन्य फायदे भी मंगलवार व्रत के बताए जाते हैं।
मंगलवार की व्रत विधि:
पं. शर्मा के अनुसार यह व्रत लगातार 21 मंगलवार तक किया जाना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व नित्यकर्म से निपूर्ण होकर नहाने के बाद घर की ईशान कोण की दिशामें किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या चित्रस्थापित कर लें। इस दिन लालवस्त्र पहने और व्रत का संकल्प हाथ में पानी ले कर करें।
पूजन स्थान पर घी का दीपक जलाये और हनुमानजी की मूर्ति या चित्रपर पुष्प माला चढ़ाकर चमेली के तेल के हलके छीटे दें। इसके बाद मंगलवार व्रत कथा पढ़े और फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें। फिर व्रत का प्रसाद बांटकर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और पूरे दिन सिर्फ एकबार भोजन लें। साथ ही अपने आचार-विचार को पूरे दिन शुद्ध रखें और रात्रि में सोने से पहले फिर एक बार हनुमानजी की पूजा करें।
मंगलवार व्रत उद्ध्यापन :

21 मंगलवारके व्रत होने के बाद अगलेमंगलवार पर 21 ब्राह्मणोंको बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दक्षिणा दें।

MUST READ : राहू की महादशा :- देती है बीमारी से लेकर बदनामी तक, ये हैं बचने के उपाय
https://www.patrika.com/horoscope-rashifal/rahu-bad-effects-how-to-safe-yourself-tips-are-here-6020410/

ऐसे करें मंगलवार का व्रत…
मान्यता के अनुसार 21 मंगलवारों का नियमित व्रत करने से मंगलदोष समाप्त हो जाता है। मंगलवार का व्रत मंगल भगवान को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भी लोग मंगलवार का व्रत करते हैं।

हनुमानजी की पूजा कब और कैसे करें…
भगवान शिव के एकादश रुद्रावतारों में से एक हैं हनुमानजी। अत:पूर्णत: सात्विक रहते हुए हनुमानजी का पूजन-भजन करना चाहिए अन्यथा देव कोप भोगना पड़ सकता है। पंडित सुनील शर्मा (ग्वालियर)के अनुसार साधारणत: हनुमान प्रतिमा को चोला चढ़ाया जाता हैं।

हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार को व शनि महाराज की साढ़े साती,अढैया, दशा,अंतरदशा में कष्ट कम करने के लिए शनिवार को चोला चढ़ाया जाता है। साधारणत: मान्यता इन्हीं दिनों की है,लेकिन दूसरे दिनों में रवि, सोम,बुध, गुरु,शुक्र को चढ़ाने का निषेध नहीं है। चोले में चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर प्रतिमा पर लेपन कर अच्छी तरहमलकर, रगड़कर चांदीया सोने का वर्क चढ़ाते हैं।

इस प्रक्रिया में कुछ बातें खास हैं। इनमें पहली बात चोला चढ़ाते समय अछूते (शुद्ध)वस्त्र धारण करें। वहीं नख से शिख तक (सृष्टिक्रम) व शिख से नखतक संहार क्रम होता है। सृष्टिक्रम यानी पैरों से मस्तक तक चढ़ाने में देवता सौम्य रहते हैं। संहार क्रम से चढ़ाने में देवता उग्र हो जाते हैं।

यह चीज श्रीयंत्र साधना में सरलता से समझी जा सकती है। यदि कोई विशेष कामना पूर्ति होतो पहले संहार क्रम से, जबतक कि कामना पूर्ण न हो जाए,पश्चात सृष्टि क्रम से चोला चढ़ाया जा सकता है।ध्यान रहे, पूर्णकार्य संकल्पित हो। सात्विक जीवन, मानसिक व शारीरिक ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

हनुमानजी के विग्रह का पूजन व यंत्रपूजन में काफी असमानताएं हैं। प्रतिमा पूजन में सिर्फ प्रतिमा का पूजन व यंत्र पूजन में अंग देवताओं का पूजन होता है।

MUST READ : दुनिया के प्रमुख शिवलिंग, जानिये क्या है इनकी खासियत

https://www.patrika.com/pilgrimage-trips/world-s-most-amazing-shivling-s-6018761/

हनुमानचालीसा और बजरंग बाण सर्वसाधारणके लिए सरल उपाय हैं। सुन्दरकांड का पाठ भी अच्छा है, समय जरूर अधिक लगता है। हनुमानजी के काफी मंत्र उपलब्ध हैं। अत: ऐसे में आवश्यकता के अनुसार चुनकर साधना की जा सकती है। शाबर मंत्र भी हैं,लेकिन इनका प्रयोग गुरुदेव की देखरेख में करना उचित है। एकदम जादू से कोई सिद्धि नहीं मिलती अत: धैर्य,श्रद्धा, विश्वाससे करते रहने पर देवकृपा निश्चित हो जाती है।

शास्त्रों में लिखा है- ‘जपात्सिद्धि-जपात् सिद्धि’यानी जपते रहो, जपते रहो, सिद्धि जरूर प्राप्त होगी। कलयुग में साक्षात देव हनुमानजी हैं। हनुमानजी की साधना से अर्थ,धर्म, काम,मोक्ष सभी होते हैं।

पं. शर्मा के अनुसार जिस व्यक्ति का घर सुप्तावस्था को प्राप्त हो गया हो, बहुत दिनों से प्रेत बाधा से युक्तहो, मकान श्रीहीन हो गया हो, जिस व्यक्ति की गति पीछे की तरफ होती हो। वह व्यक्ति यह प्रयोग करे…

करंज वृक्ष की जड़ को श्रद्धा व अनुष्ठानपूर्वक निकालें और अंगूठे के बराबर हनुमान जी की प्रतिमा उससे बना लें। इसके बाद उस मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा करके सिंदूर आदि से पूजा कर लें। उस प्रतिमा का मुंह घरकी तरफ करके मंत्रोच्चारण पूर्वक उसे दरवाजे पर गाड़ दें। इससे उपद्रव व ग्रहादि दोष दूर होकर घर धन-धान्य,पुत्रादि से दीर्घकाल तक भरा रहेगा। हनुमान जी की आराधना के समय ब्रह्माचर्य नियम से रहते हुए भूमि पर शयन करना चाहिए।

The best Tips to get blessings of lord hanuman

यह है मंगलवार की कथा:

कहाजाता है कई वर्ष पहले एक वृद्धा सदैव मंगलवार का व्रत रखती थी। उसका एक पुत्र था जो मंगलवार को पैदा हुआ था। उसे वह मंगलियाके नाम से पुकारती थी। मंगलवारके दिन वह न मिट्टी खोदती और न ही अपने घर को लीपती थी।

एकदिन उसकी परीक्षा लेने मंगलदेव ब्राह्मण के रूप में वृद्धाके घर आए। वृद्धा से बोले,’मुझे बहुत भूख लगी है। भोजन बनाना है। तुम जमीन को लीप दो।’ यह सुनकर वृद्धा बोली, ‘महाराज आज मंगलवार है मैं जमीन नहीं लीप सकती। कहें तो जल का छिड़काव कर सकती हूं। वहां पर भोजन बना लें।’

ब्राह्मण ने उत्तर दिया, ‘मैं तो गोबर से लिपे चौके पर ही भोजन बनाता हूं।’ वृद्धा ने कहा, ‘जमीन लीपने के अलावा कोई और सेवा हो तो वह मैं करने के लिए तैयार हूं।’ब्राह्मण बोला, ‘सोच लो। जो कुछ मैं कहूंगा तुमको करना पड़ेगा।’ वृद्धाबोली, ‘महाराज जमीन लीपने के अलावा आप जो भी आज्ञा देंगे उसका मैं अवश्य ही पालन करूंगी।’

वृद्धा ने ऐसा वचन तीन बार दिया। तब ब्राह्मण बोले,’अपने पुत्र को बुलाओ मैं उसकी पीठ पर भोजन बनाऊंगा। ब्राह्मण की बात सुनकर वृद्धा सकते में आ गई। तब ब्राह्मण बोला,’बुला लड़के को। अब क्या सोच-विचार करती हो।’ वृद्धा ने मंगल भगवान का स्मरण कर अपने पुत्र को बुलाकर औंधा लिटा दिया और ब्राह्मण की आज्ञा से उसकी पीठ पर अंगीठी रख दी।

उसने ब्राह्मण से कहा, ‘महाराज!अब आपको जो कुछ करना है कीजिए, मैं जाकर अपना काम करती हूं।’ ब्राह्मण ने लड़के की पीठ पर रखी हुई अंगीठी में आग जलाई और उस पर भोजन बनाया। जब भोजन बन गया तो ब्राह्मण ने वृद्धा से कहा, ‘अपने लड़के को बुलाओ। वह भी आकर प्रसाद ले जाए।’

वृद्धा दुखी होकर तथा रोकर बोली’ब्राह्मण!क्यों हंसी कर रहे हो? उसी की कमर पर अंगीठी में आग जलाकर आपने भोजन बनाया। वह तो मर चुका होगा।’ ब्राह्मण द्वारा आग्रह करने पर वृद्धा ने ‘मंगलिया’ कहकर अपने पुत्र को आवाज लगाई। आवाज लगाते ही उसका पुत्र एक ओर से दौड़ता हुआ आ गया। ब्राह्मण ने लड़के को प्रसाद दिया और कहा, ‘माई तेरा व्रतसफल हो गया दया के साथ-साथ तुम्हारे हृदय में अपने इष्ट-देव के लिए अटल निष्ठा व विश्वास भी है। तुम्हें कभी भी कोई कष्ट नहीं होगा। तुम्हारा सदा कल्याण ही होगा।’

संपूर्ण कामना पूर्ण करने के लिए :

शुक्लपक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी को मंगलवार या रविवार के दिन एक लकड़ी के तख्ते पर तेल युक्त उड़द के बेसन से हनुमान जी की सुन्दर प्रतिमा बना लें। उनके बाम भाग में तेल का व दाहिने भाग में घी का दीपक जलाकर रख दें। इसके बाद मूल मंत्र से हनुमान जी का आह्वान करें। लाल चंदन, लाल फूल व सिन्दूर से पूजन करें।

The best Tips to get blessings of lord hanuman 01

तब धूप-दीप व नेवैद्य अर्पित करें। पुन: मूलमंत्र से ही भात, पूआ,साग, मिठाई,बड़े, पकौड़े धृत सहित अर्पित करें। इसके पश्चात 27 पान तीन बार मोड़कर कसैली वगैरह के साथ ही मंत्र से ही अर्पित करें। इसके बाद एक हजार बार मंत्र का जाप करें। अंत में कपूर से विधिपूर्वक आरती करें और अपना मनोरथ रखें। इसके बाद उन्हें विधिपूर्वक विसर्जित करें।

अंत में अर्पित नेवैद्य से सातसाधु या लोभ-लालच से रहित सात ब्राह्मणों को भोजन कराएं। उन्हें सम्मानपूर्वक दक्षिणा दें,पान दें व विदा करें। अंत में अपने परिवार के सदस्यों के साथ मौनपूर्वक प्रसन्नता से प्रसाद ग्रहण करें। इससे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। साधक की अभीष्ट कामनापूर्ण हो जाती है।

मंत्र- हौंहस्फ्रें फें हस्त्रौं हस्फेहसौं हनुमते नम:।’

यह बारह अक्षरों का मंत्र है। इस मंत्र रूपी गागर में सागर भर दिया गया है। यह बीज युक्ततांत्रिक मंत्र है। इसके ऋषिस्वयं श्रीराम चन्द्र जी हैं। इसके देवता हनुमान जी हैं।’हसौं’ बीजेंहै व हस्फ्रे ‘शक्ति’है। छह बीजों से षडन्यास करना चाहिए।

न्यास- यथा’हस्फ्र हनुमते नम:हृदयाय नम:।ख्फें रामदूताय नम: शिरसेस्वाहा।’ हस्त्रों लक्ष्मण प्राणदात्रे नम:शिखायै वषट। हस्ख्फेअश्चनी नम: कवचायहुम। हसौं सीता शोकविनाशनाय नम:, नेत्राय वषट।हसफ्रे ख्प्रें हस्त्रोंहसफ्रें, हसौंलग्ड़प्रासादमश्चनाय नम:,अस्त्राम् फट।’

इस तरह छह बीज व दो पदों का क्रमश:मस्तक, ललाट,मुख, हृदय,नाभि, उरु,जंघा और चरणों का न्यासकरें। इस तरह हनुमान जी का इस श्लोक से अर्थ समझते हुए ध्यान करें।
‘उद्यत्कोलर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम।

श्रीरामाड्.घ्रिध्याननिमग्नंसुग्रीव प्रमुखाचिज़्तम।।

वित्रासयन्तेनादेन राक्षसान् मारुतिंभजेत।’

अर्थात- उदयकालीन करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी हनुमान जी संपूर्ण जगत को प्रक्षोभ में डालने की शक्ति रखते हैं। सुग्रीव आदि प्रमुख वानर वीर उनका समादर करते हैं। वह राघवेन्द्र श्रीराम के चरणारविन्द के चिन्तन में निरंतर संलग्न हैं। अपने सिंहनाद से संपूर्ण राक्षसों को भयभीत कर रहे हैं। ऐसे पवन कुमार हनुमान जी का भजन-ध्यान करना चाहिए।
हनुमानजी की मूर्ति या फोटो रखें यामन में संकल्प शक्ति से उनकीप्रतिमा बना लें। आह्वानस्थापन पूर्वक पाद्यादिउपचारों को विधिवत संपन्न करलें। इसके पश्चात अष्ट दल कमलबनाकर हनुमान जी के निम्न आठनामों की पूजा करें।
1. श्रीराम भक्त, 2. महातेजा,3. कपिराज, 4. महाबल,5. द्रोणाद्रिहारक,6. मेरुपीठार्चनकारक,7. दक्षिणाशमास्कर,8. सर्वविघ्नविनाशक।

इन बातों का रखें ध्यान :

‘श्रीराम भक्ताय नम:, महातेजसेनम:, कपिराजाय नम:,महाबलाय नम:,मेरुपीठाचज़्नकारकायनम:, दक्षिणाशामास्करायनम:, सवज़् विघ्नविनाशकायनम:।’

याद रखें श्री हनुमान जी शुद्ध वैष्णव हैं। अत: साधक भी पूर्णत: शुद्ध वैष्णव बनकर भूमि पर ही शयनकरें एवं फल-कन्द-मूल-दही अल्पाहार ग्रहण करें। वहीं नवरात्र में कम से कम बोलें। संभव हो तो मौन ही रहें।
हनुमान जी का बीज मंत्र

।। ह्रौं हस्फ्रें ख्फें हस्त्रौं हस्ख्फैं हसौं हनुमते नम:।।

कामना पूर्ति के लिए:– नमो भगवते आजनेयाय महाबलाय स्वाहा।

जेल से छुटने के लिए:- हरि मर्क ट मर्क ट वाम करे परिमुंचति मुंचति श्रृंखलिकाम।
अनिष्ट नाश के लिए:- ऊँ ह हनुमते नम:।

संकट, बीमारी, ग्रह दोष निवारण:- ऊँ रामदुताय रूद्रावतार ह हनुमते नम:।

भूत प्रेत से छुटकारा:- अंजनीगर्भ सम्भूत कपीन्द्रसचिवोत्तम। राम प्रिय नमस्तुभ्यं हनुमत रक्ष सर्वदा।।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Festivals / श्रीरामभक्त हनुमान से ऐसे पाएं मनचाहा आशीर्वाद, बंजरंगबली का दिन है मंगलवार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.