शनिवार के दिन रखें इतनी सी सावधानी.. कभी नहीं रहेगी पैसों की कमी
माँ दुर्गा के सभी नौ रूप अपने आप में शक्ति और भक्ति के भंडार माने जाते हैं। संसार में अच्छे लोगों के कल्याण के लिए माँ का कल्याणकारी रूप सिद्धिदात्री एवं महागौरी आदि है। संसार में बढ़ रही अनैतिकता को समाप्त करने के लिए माँ कालरात्रि, चन्द्रघंटा रूप धारण कर लेती है। माता रानी के इन दिव्य मंत्रों का जप प्रतिदिन सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय ग्यारह सौ (1100) बार तुलसी की माला से एकांत में बैठकर जप करें तो माता जपकर्ता की अनेक मनोकामना पूरी कर देती है।
अपने भक्तों की रक्षा के लिए माँ दुर्गा ने लिए थे इतने अवतार, इनके नाम के जप मात्र से संकट दूर हो जाते हैं
– माँ शैलपुत्री मंत्र – ऊँ ह्रीं शिवायै नम:।।
– माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र – ऊँ ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।।
– माँ चन्द्रघंटा मंत्र – ऊँ ऐं श्रीं शक्तयै नम:।।
– माँ कूष्मांडा मंत्र – ऊँ ऐं ह्री देव्यै नम:।।
– माँ स्कंदमाता मंत्र – ऊँ ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।।
– माँ कात्यायनी मंत्र – ऊँ क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।।
– माँ कालरात्रि मंत्र – ऊँ क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।।
– माँ महागौरी मंत्र – ऊँ श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।।
– माँ सिद्धिदात्री मंत्र – ऊँ ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।।
शारदीय नवरात्र : ऐसे बनी माँ आद्यशक्ति दुर्गा से महाशक्ति दुर्गा, अद्भूत कथा
नवरात्रि के नो दिनो तक माँ दुर्गा के इन दिव्य मंत्रों में से किसी भी मंत्र का जप करें- आखरी दिन नवमी तिथि को 251 या 108 मंत्रों की आहुति का यज्ञ अवश्य करें। आरती पूजन के बाद 9 छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन कराकर कुछ न कुछ भेंट भी करें।
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