ऐसे बनावें रोग नाशक खीर
13 अक्टूबर शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की रोशनी में चावल की खीर बनावें। जब खीर तैयार हो जाएं तो उसे ठण्डी कर लें और उसे इस तरह रखें क़ि चन्द्रमा की रोशनी उस खीर पर बराबार पड़ती रहे। संभव हो तो घर में चांदी या स्टील के बर्तन हो तो उक्त खीर को उन्हीं बर्तनों में रखें। स्टील के बर्तन में खीर रखकर उसमे चांदी की चम्मच या चांदी की साफ़ धुली अंगूठी भी डाल कर रख सकते हैं। इसके बाद चांद की रोशनी में रखी हुई उस चावल की खीर को ग्रहण करलें। इसे खाने से अनेक असाध्य रोगों से कुछ ही दिनों में मुक्ति मिल जाती है।
ऐसा करने से मन को शांति और आंखों के रोग दूर होते हैं
शरद पूर्णिमा की रात्रि में 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 30 तक आकाश में चमकते दिव्य चन्द्रमा को खुली आंखों से देखते हुए चन्द्रमा में अपने ईष्ट देव आराध्य का ध्यान करने से भटकते हुए मन को शांति और सही दिशा धारा प्राप्त होता। अगर किसी को चश्मा भी लगता हो तो भी खुली आंखों से ही चन्द्रमा को देखें और अपने नेत्र की नसों के माध्यम से चन्द्र की रौशनि को आंखों और मष्तिष्क तक पहुंचने देवें। लगभग 15 से 20 मिनट के अंदर ही ईष्ट देव का चेहरा हमारा मष्तिष्क कल्पनाओं और ध्यान के तीव्र स्पंदन में दिखाने लगता है। चन्द्रमा में ही कल्पना शक्ति और ध्यान की एकाग्रता में ब्लैक एन्ड व्हाईट चांदी सा चमकता हुआ अपने ईष्ट आराध्य के दर्शन किये जा सकते हैं।
सौभाग्य में वृद्धि
शरद पूर्णिमा की रात में चांदी के पात्र में गाय का कच्चा दूध भरकर उसका अर्घ्य चंद्रमा को देने से सौभाग्य में वृद्धि होने लगती है। जीवन के सारे अभाव दूर हो जाते हैं।
*************