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19 साल बाद सावन के महीने में बनेगा दुर्लभ संयोग, शिवभक्तों को मिलने जा रही हैं सावन के दो चरण की खुशियां

Sawan Month 2023 has rare chance this time after 19 years, when will be start and puja vidhi: ‘ऊं नम: शिवाय’ के स्वर हर ओर से सुनाई देने लगते हैं। शिवभक्ति का यह महीना इस बार दुर्लभ संयोग बना रहा है। यह दुर्लभ संयोग 19 साल बाद बन रहा है।

May 15, 2023 / 01:42 pm

Sanjana Kumar

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Sawan Month 2023 has rare chance this time after 19 years, when will be start and puja vidhi: भगवान शिव के भक्त हर साल सावन महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। जैसे ही सावन का महीना आता है चारों ओर का वातावरण शिवमय हो जाता है। ऊं नम: शिवाय के स्वर हर ओर से सुनाई देने लगते हैं। शिवभक्ति का यह महीना इस बार दुर्लभ संयोग बना रहा है। यह दुर्लभ संयोग 19 साल बाद बन रहा है। दरअसल इस बार शिवभक्ति का यह महीना एक नहीं बल्कि दो महीने का रहेगा। यानी हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक इस बार साल में 12 नहीं बल्कि 13 महीने रहेंगे। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें कब से शुरू हो रहा है सावन, पूजा विधि भी।

 

बन रहा है यह दुर्लभ संयोग
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, इस बार यह साल 12 नहीं, बल्कि 13 महीनों का रहने वाला है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि इस बार सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा। इससे पहले ऐसा संयोग साल 2004 में बना था। अब 19 साल बाद यह संयोग इस बार फिर बनने जा रहा है।

जानें कब शुरू हो रहा है सावन
इस बार सावन का महीना 4 जुलाई 2023 से शुरू होगा। वहीं यह 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। इस दिन पूर्णिमा भी है। ऐसे में सावन का महीना इस बार 30 के बजाय 59 दिन का होगा। वहीं इस बार 19 साल बाद ही यह संयोग भी बना है कि इस बार मलमास भी सावन के महीने में ही पड़ रहा है। इस बार सावन पहले 13 दिन यानी कि 4 जुलाई से 17 जुलाई तक चलेगा। इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। मलमास का समापन अमावस्या को होगा। इसके बाद 17 अगस्त को फिर से सावन शुरू हो जाएगा। इसके बाद सावन 31 अगस्त तक चलेगा। यानी दो चरणों में सावन महीना मनाया जाएगा।

पूजा विधि
– रात में शिवलिंग की पूजा करते समय अपना मुंह उत्तर दिशा की तरफ रखें।
– शिवजी के मंत्रों का जाप करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
– शिवलिंग का अभिषेष दूध के साथ करें और उनको बेलपत्र, धतुरा, भांग जरूर चढ़ाएं।
– शिवलिंग को हमेशा खुले और रोशनी वाली जगह पर ही रखें।
– पूजा करते समय उत्तर दिशा में न बैठें।
– पूजा में तिल के तेल का प्रयोग करें।
– मंत्रोच्चार करते समय सुपारी, पंच अमृत, नारियल और बेल की पत्तियां चढ़ाएं।
– व्रत कर रहे हैं तो सावन व्रत कथा का पाठ भी जरूर करें।
– महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करें।
– संध्याकाल में पूजा खत्म होने के बाद पारण करें और सामान्य भोजन करें।

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