देवशयनी एकादशी : चौमासे का आरंभ, 12 जुलाई से नहीं होंगे शुभ मांगलिक कार्य
2019 में सावन मास में इन तिथियों में है सोमवार
– 17 जुलाई 2019 दिन बुधवार को श्रावण मास का पहला दिन
– सोमवार, 22 जुलाई 2019 पहला सावन सोमवार व्रत
– सोमवार, 29 जुलाई 2019 दूसरा सावन सोमवार व्रत
– सोमवार, 5 अगस्त 2019 तीसरा सावन सोमवार व्रत
सोमवार, 12 अगस्त 2019 चौथा सावन सोमवार व्रत
इस एक मंत्र के उच्चारण से पूरे परिवार की दरिद्रता हो जायेगी दूर
15 अगस्त 2019 दिन गुरुवार को सावन मास का अंतिम दिन रहेगा ।
सावन मास में शिव जी का पूजन करते समय इन बातों जरूर ध्यान रखें, नहीं तो आपकी पूजा पूरा फल नहीं मिल पायेगा।
1- शंख से जल- भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है शिव जी की नहीं।
2- तुलसी- जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है, इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं की जाती।
3- तिल- तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है, इसलिए भगवान शिव की पूजा में तिल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
4- खंडित चावल- शास्त्रों में उल्लेख आता है कि भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल ही चढ़ाना चाहिए। पूजा के लिए टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध माना गया है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता।
गुरुवार के दिन कर लें ये उपाय, दुनिया की कोई भी ताकत आपकी तरक्की नहीं रोक पायेगी
5- कुमकुम- कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है और भगवान शिव वैरागी है इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता।
6- हल्दी- हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती।
7- नारियल पानी- नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है जिनका संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए शिव जी को नारियल भी नहीं चढ़ाया जाता।
8- केतकी फूल- केतकी के फूल को भगवान शिव ने त्याग दिया था, शिवपुराण के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों में कौन अधिक बड़े हैं। जब शिवजी ने केतकी से पूछा तो उसने शिवजी को असत्य बोला। तभी से केतकी के फूल को शिव पूजा में उपयोग नहीं किया जाता।
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