अगर आप भोले बाबा की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो सावन में शिव जी इन मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र को एक माह तक जप करने के लिए याद कर लें। एक माह तक पूरे सावन में इनका जप करने से भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देंगे।
सावन मास में नीचे दिए किसी भी एक मंत्र या सुविधा अनुसार, एक से अधिक मंत्रों जप किया जाता है। मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव के प्रिय मन्त्रों का जप श्रद्धा पूर्वक करने एवं विधि-विधान पूजा अर्चना करने भोले बाबा सारे दुख-दर्द दूर करने के साथ सारी इच्छाएं भी पूरी कर देते हैं।
1- सिद्ध शिव पंचाक्षरी मंत्र
।। ॐ नमः शिवाय ।।
भगवान शिव का यह पंचाक्षरी मन्त्र बहुत छोटा सा दिखाई देता है लेकिन सावन में इस मंत्र का पूरे एक माह तक जप करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति, रोगों और समस्याओं से छुटकारा मिलने के साथ मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
2- पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।।
वेद शास्त्रों में भगवान शिव के इस मंत्र को बहुत ही शक्तिशाली बताया गया है, अकाल मृत्यु का भय होने पर, भयंकर रोग से पीड़ित होने पर या फिर मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जप करना बहुत फलदायी होता है। इस मंत्र का जप किसी शिवालय में शिवलिंग के समक्ष बैठकर करने से शीघ्र फल प्राप्त होता है।
3- शिव बीज मंत्र
।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।।
सावन मास में इस बीज मंत्र का जप करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, साथ ही धन आवक के सारे रास्ते मिलना शुरू हो जाते हैं।
सावन मास में उपरोक्त मंत्रों का जप इस विधि से करें-
1- सावन मास के पूरे तीस दिन यानी एक माह तक इन मन्त्रों का जप अपने घर पर ही पवित्र स्थान पर या फिर किसी भी शिव मंदिर में किया जा सकता है। लेकिन प्रयास करें कि महामृत्युंजय मंत्र का जप केवल शिव मंदिर में ही किया। इससे यह मंत्र शीघ्र शुभ प्रदान करने लगता है।
2- इन मंत्रों के जप में केवल रुद्राक्ष की माला से ही गोमुखी में रखकर करना चाहिए। जपकर्ता का मुख पूर्व दिशा होना चाहिए। बैठने के लिए कंबल या कुशा के आसन की प्रयोग करें। विशेष प्रयोजन के लिए संभव हो तो बाघ या हिरण के आसन का उपयोग करना चाहिए। पूजा वेदी पर शिव प्रतिमा, शिवलिंग या फिर फोटों अवश्य रखें। सुंगधित धुप, गाय के घी का दीपक जलाने के बाद शिवजी का आवाहन, पूजन व संकल्प के साथ ही मंत्र का जप करें। सावन मास में संभव हो तो प्रतिदिन जप करने के बाद या पहले शिवलिंग का गंगाजल मिले शुद्धजल से अभिषेक जरूर करें।
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