त्योहार

Savitri Bai Phule Jayanti: करीब दो सौ साल पहले जलाई थी महिला शिक्षा की अलख

Savitri Bai Phule Jayanti: भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले की आज तीन जनवरी को जयंती है। Savitri Bai Phule Jayanti पर भारत के इस महान शिक्षाविद (indian educationalist savitribai phule) को पूरा राष्ट्र नमन कर रहा है, जिसने पति ज्योतिबा फुले के साथ भारतीय समाज में जागरूकता की अलख जलाई। जयंती पर उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी समेत तमाम दिग्गज हस्तियों ने नमन किया है।

Jan 03, 2023 / 01:20 pm

shailendra tiwari

शिक्षाविद सावित्रीबाई फुले

India’s First Female Teacher: शिक्षाविद सावित्रीबाई फुले ने पति ज्योतिबाफुले के साथ मिलकर महाराष्ट्र में महिलाओं को अधिकार दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इन्हें भारत में नारीवादी आंदोलन का अगुवा माना जाता है। Savitri Bai Phule Biography अत्यंत संघर्षपूर्ण है। भारत में जब स्कूल कॉलेज ही बहुत कम संख्या में थे, तब इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के महत्व को देखते हुए 1884 में भिडे वाडा पुणे में लड़कियों के स्कूल की स्थापना की थी। उन्होंने जाति और जेंडर आधारित भेदभाव को खत्म कराने के लिए प्रयास किया।
ये भी पढ़ेंः Rashifal 2023 Meen: मीन राशि करियर चढ़ेगा परवान, देना होगा इसका ध्यान

Savitri Bai Phule Biography: सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। इनके माता पिता का नाम लक्ष्मी और खांडोजी नेवासे पाटिल था। ये माली समुदाय से थे, सावित्रीबाई तीन भाई बहन में सबसे छोटी थीं। सावित्रीबाई फुले की शादी दस साल की उम्र में हो गई थी, शादी के समय वो अनपढ़ थीं (savitribai phule information) । उनके पति ज्योतिराव फुले ने ही सावित्रीबाई और उनकी चचेरी बहन सगुनाबाई शिवसागर को खेत में काम करने के साथ-साथ पढ़ाया।


प्राथमिक शिक्षा के बाद उनके आगे की पढ़ाई की जिम्मेदारी दोस्तों सखाराम यशवंत परांजपे, केशव शिवराम भावलकर ने उठाई। उन्होंने खुद को दो टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम में नामांकित कराया था, पहला अहमद नगर में एक अमेरिकी मिशनरी सिंथिया फर्रार द्वारा संचालित संस्थान और दूसरा पुणे के एक स्कूल में। इसके मद्देनजर अनुमान लगाया जाता है कि वही शायद भारत की पहली महिला शिक्षक और प्रिंसिपल थीं।
ये भी पढ़ेंः Hanumanji Ke Rahasy: भगवान शिव के अवतारों में हनुमान को छोड़ किसी के आगे क्यों नहीं लगाया जाता श्री?

कवियित्री सावित्रीबाईः वे कवियित्री (indian educationalist savitribai phule) भी थीं, इन्होंने 1854 में काव्या फुले और 1892 में बावन काशी सुबोध रत्नाकर प्रकाशित किया और जाओ शिक्षा प्राप्त करो नाम की कविता भी लिखी। दूसरों को पढ़ने लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। कहा जाता है कि इनकी कोई संतान नहीं थी और उन्होंने बेटे यशवंतराव को गोद लिया था। जब यशवंत की शादी की उम्र हुई तो उनकी शादी के लिए आसपास के लोग तैयार नहीं थे, इसके बाद 1889 में इन्होंने अपने ही संगठन की कार्यकर्ता डायनोबा ससाने की बेटी से उनकी शादी कराई।
ये भी पढ़ेंः jain tirth sammed shikharji: जैन समाज के लिए तीर्थ है शिखरजी , 23 वें तीर्थंकर का भी नाता

1897 में नालासोपारा के आसपास जब प्लेग की तीसरी लहर आई तो पुणे के बाहरी इलाके में संक्रमणमुक्त क्षेत्र में प्रभावितों के इलाज के लिए यशवंत ने एक क्लीनिक खोला था।
पांडुरंग बाबाजी गायकवाड़ के बेटे के प्लेग की चपेट में आने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाने के दौरान वे प्लेग की चपेट में आ गईं थीं। इसी के चलते 10 मार्च 1897 को मौत हो गई थी।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Festivals / Savitri Bai Phule Jayanti: करीब दो सौ साल पहले जलाई थी महिला शिक्षा की अलख

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.