त्योहार

15 अगस्त को रक्षाबंधन : इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार

Rakshabandhan festival : इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार जानें इस पर्व का शास्त्रोंक्त महत्व और लाभ

Aug 07, 2019 / 04:06 pm

Shyam

15 अगस्त को रक्षाबंधन : इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार

भारत देश में प्रत्येक माह कोई न कोई छोटा बड़ा पर्व-त्यौहार होता ही है और सभी उत्साह पूर्वक मनाते हैं। सभी पर्वों का अपना-अपना महत्व होता है, लेकिन सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन ( RakshaBandhan ) का त्यौहार अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को भाई-बहन के अटूट प्रेम के रूप में मनाया जाता है। बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर अपनी रक्षा का संकल्प दिलाती है। इस साल 2019 में रक्षाबंधन का पर्व 15 दिन गुरुवार को है। जानें रक्षाबंधन पर्व का शास्त्रोंक्त महत्व।

 

तनाव प्रबंधन के सबसे बड़े गुरु भगवान शंकर, सावन में तनाव से ऐसे पाएं मुक्ति, शिवजी के रामबाण सूत्र

 

रक्षा करने के लिए बंध जाना

वैदिक युग से प्रचलित रक्षाबंधन का पर्व शिक्षा, स्वास्थ्य, सौंदर्य तथा सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना एवं पुनर्स्मरण कराता है, जिसे प्रायश्चित एवं जीवन-मूल्यों की रक्षा के लिए संकल्प पर्व के रूप में मनाया जाता है। यही जीवन की सुख एवं समृद्धि का आधार है। श्रावणी पूर्णिमा के दिन दो प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं। श्रावणी अथवा उपाकर्म और रक्षाबंधन। रक्षाबंधन का अर्थ है-रक्षा करने के लिए बंध जाना। सूत्र प्रतीक है-पवित्र प्रेम की पहचान का, भाई और बहनों के अटूट विश्वास का।

 

सावन में नई दुल्हन से करवा लें केवल ये 4 छोटे से उपाय, आजीवन भरे रहेंगे धन के भंडार

 

ऐसे हुई रक्षाबंधन की शुरूआत

रक्षाबंधन के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित है। कहा जाता है कि देवासुर संग्राम में जब देवता निरंतर पराजित होने लगे, तब देवराज इंद्र ने अपने गुरु बृहस्पति से विजय प्राप्ति की इच्छा प्रकट की एवं इसके लिए उपाय सुझाने के लिए प्रार्थना की। देवगुरु बृहस्पति ने श्रावण पूर्णिमा के दिन आक के रेशों की राखी बनाकर इंद्र की कलाई पर बांध दी। यह रक्षा कवच इंद्र के लिए वरदान साबित हुआ। इस प्रकार मानव संस्कृति में प्रथम रक्षा−सूत्र बांधने वाले बृहस्पति देवगुरु के पद पर प्रतिष्ठित हुए, तभी से रक्षा सूत्र बांधने का प्रचलन प्रारंभ हुआ।

 

सावन में करें बेलपत्र का चमत्कारी उपाय, जो चाहोगे वही देंगे महादेव

 

रक्षा−सूत्र विजयश्री का प्रतिक

रक्षाबंधन के दिन देवराज इंद्र को देवासुर संग्राम के लिए विदा करते समय उनकी पत्नी शची ने उनकी भुजा पर रक्षा−सूत्र बांधा था। यह सूत्र एक विश्वास और आस्था का प्रतीक था, विश्वास फलित हुआ और इंद्र विजयी होकर लौटे। प्राचीनकाल में योद्धाओं की पत्नियां रक्षा−सूत्र बांधकर उन्हें युद्ध भूमि में भेजती थीं, ताकि वे विजयी होकर ही लौटें।

 

Sawan Maas: शिव की पंचाक्षरी स्त्रोत साधना से हो जाती है हर इच्छा पूरी

 

रक्षा बंधन- भगवान कृष्ण और भगवान वामन

एक अन्य कथानुसार, भगवान् वामन ने राजा बलि को इसी दिन रक्षा हेतु सूत्र बांधकर दक्षिणा प्राप्त की थी। वस्तुतः राखी के इसी कच्चे धागे के बदले भगवान् श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी को अक्षय एवं असीमित कर लाज बचाई थी। इसे भाई-बहिन के पवित्र एवं पावन संबंधों का सूत्रपात कहा जा सकता है और यहीं से रक्षाबंधन की पुण्य परंपरा प्रचलित हुई।

**********

Hindi News / Astrology and Spirituality / Festivals / 15 अगस्त को रक्षाबंधन : इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.