वहीं देवघर और उज्जैन में लोग पहले भगवान शिव को राखी बांधते हैं, फिर घर पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं। कुछ परिवारों में भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण को पहली राखी बांधते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हम सबकी रक्षा ईश्वर ही करते हैं। उनके द्वारा दी गई प्राणवायु, भूमि, जल इत्यादि से जीवन आगे बढ़ता है। भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था प्रकट करने के लिए उन्हें अपना भाई मानकर राखी बांधना चाहिए।
गुरु और शिक्षक
व्यक्ति के जीवन में गुरु और शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता है। ईश्वर जन्म देता है तो गुरु मार्गदर्शन करता है और जीवन का बोध कराता है। अच्छे बुरे का भेद बताता है। शिक्षक के बिना हमें न सत्कर्म का ज्ञान हो सकता है और न ही ईश्वर का। संसार में केवल अधर्म, अराजकता और भय का वातावरण रहेगा। इसलिए समाज के प्रति उनके योगदान को देखते हुए राखी बांधकर उनका आभार प्रकट करना चाहिए। इसलिए इस दिन अपने गुरुजनों को रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। ये भी पढ़ेंः रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, जानें कब है राखी और रक्षाबंधन का सबसे अच्छा मुहूर्त
सैनिक
सैनिक को हम केवल वीरगति प्राप्त होने या स्वतंत्रता दिवस इत्यादि अवसरों पर ही याद करते हैं। लेकिन वह हमारी रक्षा के लिए परिवारवालों, समाज, मित्रों और सुख-सुविधाओं का त्याग कर जान हथेली पर रखकर घर से दूर खड़ा रहता है। इसलिए उनको राखी बांधकर अपनेपन का एहसास कराना चाहिए। रक्षाबंधन के विशेष अवसर पर यदि महिलाएं सीमा पर या छावनी में जाकर सैनिकों को राखी बांधें तो उन्हें बहुत अच्छा लगेगा।पेड़-पौधे
पेड़ पौधों में भी प्राण होते है। हमारे देश के वैज्ञानिक जेसी बसु ने सिद्ध किकया था कि पेड़ पौधे संवेदनशील होते हैं और वो महसूस कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि सकारात्मक वातावरण में पेड़ अच्छे से फलता-फूलता है जबकि एक नकारात्मक वातावरण में वह मुरझा जाता है। इसलिए उसे प्रेम और आत्मीयता की आवश्यकता होती है। वहीं उससे मिली आक्सीजन पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए हिंदू धर्म में सभी प्रकार के पेड़-पौधों की पूजा का विधान है। ऐसे में रक्षाबंधन पर पेड़ पौधों को राखी बांधकर उनका आभार जताना चाहिए। ये भी पढ़ेंः लहसुन प्याज का राहु से है खास रिश्ता, जानें इनके रंगों के पीछे की पौराणिक कहानी
जिन भाइयों की बहन नहीं
हर व्यक्ति का कोई न कोई मित्र या रिश्तेदार होता है। लेकिन कई बार इनमें से कई की कोई बहन नहीं होती, ऐसे लोगों में निराशा का भाव आता हैं लेकिन वे किसी से कहते नहीं। ऐसे किसी व्यक्ति को भाई स्वीकार कर राखी जरूर बांधना चाहिए।यजमान को जरूर बांधे रक्षासूत्र
यजमान और पुरोहित का गहरा पारस्परिक संबंध होता है। यजमान अपनी दक्षिणा के रूप में पुरोहित के जीवन निर्वाह में मददगार होता है तो पुरोहित अपने मार्गदर्शन से यजमान को भटकने से बचाता है और उनके कल्याण, निष्कंटक जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं। सबसे प्राचीन परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन पर पुरोहित अपने यजमान को राखी जरूर बांधते थे और उनके मंगल की कामना करते थे। इसलिए इस परंपरा को जरूर आगे बढ़ाना चाहिए।