दरअसल यदि अक्टूबर 2021 के चंद त्यौहार छोड़ दिए जाएं तो पिछले साल 2020 से अब तक आए त्यौहारों की रौनक में कोरोना का ग्रहण साफ तौर से दिखा, ऐसे में अब जहां कोरोना काफी हद तक सीमित दिख रहा है तो ऐसे में वर्ष 2021 के नवंबर को लेकर लोगों में कई उम्मीदें हैं। ऐसा माना जा रहा है कि नए महीने त्यौहारों काफी धूमधाम के साथ मनाए जाएंगे।
1. श्री गोपाष्टमी : मंगलवार, 01 नवंबर, मंगलवार
कार्तिक शुक्ल अष्टमी गोपाष्टमी के नाम से जानी जाती है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण और गायों को समर्पित है। यह मथुरा, वृंदावन और अन्य ब्रज क्षेत्रों में प्रसिद्ध त्योहार है। इस दिन गायों को उनके बछड़े के साथ सजाने और पूजा करने की परंपरा है। मान्यता के अनुसार इसी दिन श्रीकृष्ण के पिता नंद महाराज ने श्रीकृष्ण को गायों की देखभाल की जिम्मेदारी दी थी और श्रीकृष्ण गायों को चराने वन ले गये थे।
अष्टमी तिथि शुरू: 01 नवंबर 2022 पूर्वाह्न 01:11 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 01 नवंबर 2022 रात 11:04 बजे
2- देवोत्थान एकादशी : रविवार, 04 नवंबर, शुक्रवार
हिंदू धर्म में दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष तिथि की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व हैं इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इसे देवोत्थान एकादशी (Devuthhan Ekadashi 2022) और प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं।
देव उठनी एकादशी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी तिथि 03 नवंबर 2022 को शाम 07 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगी. देवउत्थान एकादशी तिथि का समापन 04 नवंबर 2022 को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी का व्रत 04 नवंबर को रखा जाएगा.
देवउठनी एकादशी व्रत पारण समय – सुबह 06.39 – सुबह 08.52 (5 नवंबर 2022)
3 – बैकुंठ चतुर्दशी 2022: 06 नवंबर, रविवार-
बैकुंठ चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी जातक इस दिन श्रीहरि की पूजा करते हैं या व्रत रखते हैं उन्हें बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
बैकुंठ चतुर्दशी का शास्त्रों में विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन विष्णुजी और शिवजी की पूजा करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने इसी दिन भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। इस दिन शिव और विष्णु दोनों ही एकाएक रूप में रहते हैं। वहीं माना जाता है कि इस दिन मृत्यु को प्राप्त होने वाला व्यक्ति सीधे स्वर्गलोक में स्थान की प्राप्त करता है।
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 06 नवंबर 2022, दाेपहर 12:58 बजे से
चतुर्दशी तिथि समापन : 07 नवंबर 2022, दाेपहर 12:45 बजे से
4- देव दीपावली : 07 नवंबर, साेमवार
सनातन धर्म में दिवाली के ही समान देव दिवाली (Dev Diwali) का पर्व भी मनाया जाता है। दीपावली का यह छोटा संस्करण, देव दिवाली, दिवाली के वास्तविक त्योहार के बाद आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे त्रिपुरोत्सव अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। देव दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में आती है। इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णिमा दिवस) भारत के प्रमुख हिस्सों में मनाया जाता है। देव दीपावली के मौके पर न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़े भी पटाखे फोड़कर जश्न में शामिल होते हैं। कुछ प्राचीन मिथक बताते हैं कि देव दीपावली के इस शुभ दिन को मनाने के लिए देवी-देवता भी स्वर्ग से उतरते हैं।
शुभ मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि का आरंभ 4:10 PM, नवंबर 07, 2022
पूर्णिमा तिथि का समापन 04:31 PM, नवंबर 07, 2022
प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त: 05:14 PM to 07:49 PM
5- कार्तिक पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण : 8 नवंबर, मंगलवार
इसी दिन श्रीहरि विष्णु ने प्रलय काल दौरान वेदों की रक्षा करने के लिए पहला यानी मत्स्य अवतार लिया था। इसके अलावा भगवान शिव ने भी इसी दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर राक्षस के वध किए जाने के देवतागण काफी प्रसन्न हुए थे। इससे प्रसन्न होकर ही श्रीहरि विष्णु ने महादेव को त्रिपुरारी नाम दिया। इस कारण से इस तिथि को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के दौरान महादेव और कृतिकाओं की पूजा करने का विधान है। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और अपने उपासकों पर आशीर्वाद की वर्षा करते हैं।
माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने का फल पूरे साल गंगा स्नान करने के बराबर होता है। कई जगहों पर इस देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के सहस्रनाम पाठ का विशेष महत्व है।
कार्तिक पूर्णिमा 2022 का शुभ मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि शुरू: 7 नवंबर, 2022 दोपहर 04:15 से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 8 नवंबर, 2022 को दोपहर 04:31 तक
6- संकष्टी चतुर्थी, 12 नवंबर, शनिवार
गणेश चतुर्थी व्रत भगवान श्री गणेश जी को समर्पित है। इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हर महीने आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।
शुभ मुहूर्त : चतुर्थी तिथि 11 नवंबर रात 8:17 बजे – 12 नवंबर रात 10:26 बजे।
7- काल भैरव जन्माेत्सव : 16 नवंबर, बुधवार
भगवान कालभैरव को महादेव का रौद्र रूप माना गया है। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से सभी रोगों और दुखों से निजात मिल जाता है। इसके अलावा इनकी पूजा करने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है, कष्टों का निवारण होता है। काल भैरव का अर्थ ही यही होता है, यानि कि जो काल और भय से आपकी रक्षा करता हो। ऐसा माना जाता है कि अगर आपके अंदर किसी बात को लेकर डर है, तो आप काल भैरव का स्मरण कीजिए। काल भैरव के स्मरण मात्र से ही आपके अंदर डर पर विजय पाने की शक्ति आ जाएगी। सनातन काल से ही हिंदू धर्म में श्री काल भैरव की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है।
शुभ मुहूर्त:
अष्टमी तिथि प्रारम्भ 16 नवम्बर 2022, को सुबह 05 बजकर 49 मिनट
अष्टमी तिथि समाप्त नवम्बर 17 नवम्बर, 2022 सुबह 07:57 बजे तक
8 – उत्पन्ना एकादशी : 20 नवंबर, रविवार
उत्पन्ना एकादशी का पर्व को लेकर कई सारी मान्यताएं है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी इस दिन देवी एकादशी की पूजा करता है, उसे अपने पिछले पापों से छुटकारा मिल जाता है। कुछ भक्तों का यह भी मानना है कि यह व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है। उसे वैकुंठ धाम में जगह मिलती है। मान्यता के अनुसार उत्पन्ना एकादशी की महिमा 1000 गायों का दान करने से भी अधिक है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने वाले लोग देवताओं की त्रिमूर्ति – भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश को भी प्रसन्न कर सकते हैं। इसके अलावा, लोग विष्णु पूजा के दौरान देवी एकादशी की पूजा करते समय विशेष विष्णु मंत्र का जाप करते हैं।
शुभ मुहूर्त:
एकादशी तिथि शुरू – 19 नवंबर 2022 को 10:29 AM
एकादशी तिथि समाप्त – 20 नवंबर 2022 को सुबह 10:41 बजे
पारण का समय – 21 नवंबर 2022 को सुबह 06:57 बजे से 09:08 बजे तक
9 – मासिक शिवरात्रि : 22 नवंबर, मंगलवार
प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनााई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। कई लोग प्रत्येक शिवरात्रि पर व्रत भी करते हैं। कहते हैं इस व्रत की महिमा से जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। ये व्रत महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं। इस व्रत को करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है। शिव पुराण के अनुसार जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। जानिए शिवरात्रि के दिन किन उपायों को करने से धन संबंधी सभी दिक्कतें होती हैं दूर।
शुभ मुहूर्त : पूजा मुहूर्त- रात 11:41 बजे से देर रात 12:34 बजे तक.
10- श्री राम विवाहोत्सव : 28 नवंबर . सोमवार
पौराणिक धार्मिक ग्रथों में बताया गया है कि इसी दिन जनक नंदनी माता सीता और दशरथनंदन प्रभु श्रीराम का विवाह संपन्न हुआ था। इस प्रसंग का विवरण श्रीरामचरितमानस में भी तुलसीदास जी ने किया है। मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम और माता सीता के विवाह के कारण ही इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। भारतीय संस्कृति में प्रभु श्री राम और माता सीता को आदर्श दंपती माना जाता हैं। जिस तरह प्रभु श्रीराम ने हमेशा अपनी मर्यादा बनाए रखकर पुरुषोत्तम का पद पाया, ठीक उसी तरह माता सीता ने अपनी पवित्रता को साबित कर सारे संसार के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया।
इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम और जनकनंदनी माता सीता की उपासना करनी चाहिए। इसके अलावा अगर आप बालकाण्ड में राम-सीता के विवाह प्रसंग का पाठ करते हैं, तो आपके पारिवारिक जीवन में सुख मिलता है। साथ ही सभी समस्याएं दूर हो जाती है।
शुभ मुहूर्त:
पंचमी तिथि प्रारम्भ 27 नवंबर 2022 को 04:25 PM
पंचमी तिथि समाप्त 28 नवंबर 2022 01:35 PM
नवंबर 2022 :- त्यौहार
01 नवंबर, मंगलवार – श्री दुर्गाष्टमी व्रत। श्री गोपाष्टमी।
02 नवंबर, बुधवार – अक्षय नवमी व्रत।
4 नवंबर, शुक्रवार- देवउठनी एकादशी या देवोत्थानी एकादशी ।
5 नवंबर, शनिवार- प्रदोष व्रत (शुक्ल ), तुलसी विवाह
6 नवंबर, रविवार- बैकुंठ चतुर्दशी
7 नवंबर, साेमवार- देव दीपावली
8 नवंबर, मंगलवार- कार्तिक पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण
09 नवंबर, बुधवार – मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्षारम्भ। मार्गशीर्ष मासीय व्रत।
11 नवंबर, शुक्रवार – सौभाग्य सुन्दरी व्रत।
12 नवंबर, शनिवार- संकष्टी चतुर्थी
16 नवंबर, बुधवार- वृश्चिक संक्रांति, काल भैरव जन्माेत्सव
20 नवंबर, रविवार- उत्पन्ना एकादशी
21 नवंबर, सोमवार- प्रदोष व्रत (कृष्ण)
22 नवंबर, मंगलवार- मासिक शिवरात्रि
23 नवंबर, बुधवार- मार्ग शीर्ष अमावस्या
27 नवंबर . रविवार – वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत।
28 नवंबर . सोमवार – श्री राम विवाहोत्सव।
29 नवंबर . रविवार – चंपापष्ठी
30 नवंबर . बुधवार – मित्र सप्तमी।