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नर्मदा जयंती आज : इस विधि से करें पूजन व दीपदान, हो जाएगी हर कामना पूरी

नर्मदा जयंती आज : इस विधि से करें पूजन व दीपदान, हो जाएगी हर कामना पूरी

Feb 01, 2020 / 09:41 am

Shyam

नर्मदा जयंती 1 फरवरी : इस विधि से पूजन व दीपदान से होती है हर कामना पूरी

हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं के अलावा, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी के साथ नदियों की भी पूजा अर्चना विधि विधान से की जाती है। इसलिए हर माह कोई न कोई पर्व त्यौहार मनाएं ही जाते हैं। इस साल 2020 में माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पतित पावनी पुण्य सलिला माँ नर्मदा जी की जयंती मनाई जाती जाती। शास्त्रों के अनुसार माँ नर्मदा नदी के पूजन, दीपदान, स्नान एवं दर्शन मात्र से मनुष्य के पापों का नाश हो जाता है। जानें नर्मदा जयंती पर नर्मदा पूजा विधि।

हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि नर्मदा नदी की जयंती बहुत ही हर्षोल्लास से मनाई जाती है, इस साल 2020 में 1 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जाएंगी। महाभारत, रामायण सहित अनेक हिंदू धर्म शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि माँ नर्मदा नदी की उत्पत्ति भगवान शिव जी से हुई थी। नर्मदा नदी के तटों पर अनेक ऋषिमुनियों, साधु संतो ने तप किया और आज के समय में भी कई साधु महात्मा तप करते देखे जा सकते हैं।

नर्मदा जयंती 1 फरवरी : इस विधि से पूजन व दीपदान से होती है हर कामना पूरी

जन कल्याण की भवना से एक बार भगवान शंकर ने मैकल पर्वत पर कठोर तप साधना की था। भगवान शंकर की साधना के दौरान उनके शरीर से निकले पसीने की बूंदों से ही मैकल पर्वत पर एक जल कुंड का निर्माण भी हो गया। कुछ समय बाद इसी जल कुंड में एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया जो शांकरी नर्मदा नदी कही जाने लगी। शांकरी नर्मदा भगवान शिव के कहने पर एक नदी के रूप में कल-कल आवाज (रव) करती हुई बहने लगी। कल-कल आवाज करने के कारण नर्मदा का नाम रेवा एवं मेकल पर्वत पर जन्म लेने के कारण मेकल सुता भी कहलाने लगी।

नर्मदा जयंती 1 फरवरी : इस विधि से पूजन व दीपदान से होती है हर कामना पूरी

माँ नर्मदी की कथा

स्कंद पुराण में नर्मदा नदी के बारे में उल्लेख मिलता है कि भयंकर प्रलयकाल में भी नर्मदा नदी स्थिर और स्थाई रहती है। नर्मदा के बारे में मत्स्य पुराण में लिखा है कि इसके दर्शन मात्र से पापियों के पाप नष्ट हो जाते हैं। नर्मदा, गंगा, सरस्वती व नर्मदा नदी को ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्वेद के समान पवित्र माना जाता है। नर्मदा नदी के तट पर उद्गम से लेकर विलय तक कुल 60 लाख, 60 हजार तीर्थ स्थल बने हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार नर्मदा नदी का हर पत्थर शंकर रूप माना जाता है। नर्मदा नदी के तट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। नर्मदा नदी विश्व की एक मात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है और आज भी सैकड़ों श्रद्धालु परिक्रमा करते देखे जा सकते हैं।

नर्मदा जयंती 1 फरवरी : इस विधि से पूजन व दीपदान से होती है हर कामना पूरी

ऐसे करें नर्मदा जंयती पर पूजन

1 फरवरी माघ मास की सप्तमी तिथि को मेकल सुता माँ नर्मदा जी की जयंती के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त से पहले, प्रणाम करके नर्मदा स्नान करें। धुले हुए वस्त्र पहनकर विधिवत अक्षत, पुष्प, कुमकुम, हल्दी, धुप-दीप से पूजन करें। नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा में 11 आटे के दीपक जलाकर दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है।

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