गर्मियों में कड़ी गर्मी के बीच 14 से 15 घंटे भूखे-प्यासे रहकर रोजेदार को कड़ी परीक्षा देनी पड़ती है। अफ्रीका के कई मुस्लिम देशों में, गर्मियों में तापमान बहुत अधिक होता है। यहा रमज़ान के महीने में रोजेदारों की हालत बहुत ही गंभीर हो जाती है। अब सवाल उठता है कि सर्दियों के मौसम में आनेवाला रमजान गर्मियों में क्यों आता है?
दरअसल, मुस्लिम धर्म में चांड कैलेंडर को फॉलो किया जाता है। इसे इस्लामी पंचाग भी कहते हैं। इस कैलेंडर में चांद दिखाई देने के अनुसार तिथि तय होती है। इस कैलेंडर में 12 महीने लगभग 354 दिन के होते हैं। यानि कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के 365 दिनों की तुलना में 11 दिन कम होता है।
यही कारण है कि इस्लामिक चांद कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर कैलेंडर से हर साल लगभग 11 दिन पीछे चला जाता है। तो इससे साफ है कि रमजान के महीने का पहला दिन जो इस्लामी कैलेंडर के 9वां महीना, लगभग हर साल 11 दिन पीछे जाता है। यही कारण है कि सर्दियों में पड़नेवाला रमजान अब गर्मियों में पड़ने लगा।