मार्गशीर्ष (अगहन) के व्रत एवं पर्व
1- उत्पन्ना एकदशी- मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस साल 22 नवंबर दिन शुक्रवार को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
2- मार्गशीर्ष अमावस्या- मार्गशीर्ष (अगहन) मास की अमावस्या तिथि को अगहन एवं दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या का महत्व भी कार्तिक अमावस्या के समान ही फलदायी माना गया है और इस दिन माता लक्ष्मी का विशेष पूजन करने से वे प्रसन्न हो जाती है। 26 नवंबर दिन मंगलवार को मार्गशीर्ष अमावस्या, दर्श अमावस्या है।
3- विवाह पंचमी- मार्गशीर्ष (अगहन) अमावस्या के बाद मार्गशीर्ष मासे के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि अति महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है, जिसे विवाह पंचमी कहा जाता है। इसी दिन भगवान श्रीराम एवं माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। विवाह पंचमी 1 दिसंबर 2019 दिन रविवार को मनाई जाएगी।
4- मोक्षदा एकादशी एवं गीता जयंती- मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। साथ ही इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से श्रीमद्भगवदगीता का आविर्भाव हुआ था। मोक्षदा एकादशी एवं गीता जयंती का पर्व 8 दिसंबर 2019 दिन रविवार को मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा – दत्तात्रेय जयंती- मार्गशीर्ष (अगहन) मास की पूर्णिमा को पूर्ण पूर्णिमा तिथि माना जाता है। इस दिन तप, दान, यज्ञ जैसे पुण्य कर्म करने से जीवन की अपूर्णताएं पूर्ण हो जाती है। मार्गशीर्ष (अगहन) की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान दत्तात्रेय जी जयंती की जयंती भी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष (अगहन) मास की पूर्णिमा 12 दिसंबर 2019 दिन गुरुवार को है।
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