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इस बार भगवान शिव की पूजा से मिलेगा विशेष फल, जानें त्रयोदशी व्रत और महाशिवरात्रि एक साथ

पत्रिका.कॉम के इस लेख में जाने इस बार ये दो दिन क्यों हैं महत्वपूर्ण, कैसे और किस समय करनी है भगवान शिव की पूजा…

Feb 16, 2023 / 03:17 pm

Sanjana Kumar

Pradosh Vrat/Mahashivratri 2023 हिंदू कलैंडर के आखिरी माह यानी फाल्गुन महीने में भगवान शिव की पूजा के लिए इस बार आने वाले लगातार दो दिन शुक्रवार और शनिवार अति विशेष हैं। दरअसल इस बार इस माह में जहां शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात 17 फरवरी को प्रदोष पड़ रहा है, वहीं अगले दिन यानी शनिवार को 18 मार्च 2023 को महाशिवरात्रि पड़ रही है। लगातार दो दिन तक शिव की पूजा के विशेष योग बन रहे हैं। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जाने इस बार ये दो दिन क्यों हैं महत्वपूर्ण, कैसे और किस समय करनी है भगवान शिव की पूजा…

 

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प्रदोष व्रत Pradosh Vrat/Mahashivratri 2023
इस बार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी शुक्रवार 17 फरवरी तथा शनिवार की दरम्यानी रात 2023 को पड़ रही है। ऐसे में उदयातिथि के कारण यह दिन प्रदोष व्रत का भी रहेगा। इसलिए यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है। सौभाग्य और खुशहाल दांपत्य देने वाला माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। साथ ही इस दिन भगवान शिव की प्रतिमा और शिवलिंग के दर्शन से साधक को धन, ऐश्वर्य और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। इस दिन शिव चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

 

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प्रदोष व्रत सप्ताह के वार के अनुसार और जानें इसका महत्व

साप्ताहिक दिन: व्रत का नाम : व्रत का महत्व
सोमवार : सोम प्रदोष व्रत : सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
मंगलवार : भौम प्रदोष व्रत : असाध्य रोगों से मुक्ति प्रदान करता है।
बुधवार : बुध प्रदोष व्रत : समस्त इच्छाओं को पूरा करने के लिए विशेष है इस दिन का व्रत।
गुरुवार : बृहस्पतिवार : गुरु प्रदोष व्रत : शत्रुओं पर विजय प्रदान करता है गुरु प्रदोष व्रत।
शुक्रवार : शुक्र प्रदोष व्रत : सुख, सौभाग्य और खुशहाल दांपत्य प्रदान करता है।
शनिवार : शनि प्रदोष व्रत : पुत्र प्राप्ति के लिए उत्तम व्रत।
रविवार : रवि प्रदोष व्रत : इस व्रत से लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

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