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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर जरूर करें ये काम, भोलेनाथ को खुश करने का सबसे आसान तरीका

ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा के मुताबिक हिन्दु पंचांग के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इसीलिए इस पर्व इस बार किए गए पूजा पाठ का फल कई गुना होकर मिलेगा।

Feb 08, 2023 / 01:40 pm

Sanjana Kumar

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हिन्दु कैलेंडर के मुताबिक हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस शुभ दिन भगवान शिव और माता पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे। इसीलिए यह दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन माना गया है। माना जाता है कि इस दिन भोलेनाथ और मां पार्वती की श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने से सभी संकट दूर होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि मिलती है।

 

आपको बता दें कि महाशिवरात्रि का यह पर्व इस बार 18 फरवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा के मुताबिक हिन्दु पंचांग के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इसीलिए इस पर्व इस बार किए गए पूजा पाठ का फल कई गुना होकर मिलेगा। पूजा पाठ के साथ ही शास्त्रों में भगवान शिव को खुश करने और उनकी कृपा पाने के लिए कई मंत्रों का उल्लेख किया गया है। यदि कोई व्यक्ति इन मंत्रों का सही तरीके से उच्चारण करे और पूरी श्रद्धा भाव के साथ इन मंत्रों को पढ़े तो उसे विशेष फल मिलेगा। इतना ही नहीं, महाशिवरात्रि के दिन पंचाक्षर स्रोत का पाठ करना भी बेहद शुभ फलदायक माना गया है। माना जाता है इस स्रोत का पाठ करने से मन मांगी मुराद पूरी होती है।

शिव पंचाक्षर स्रोत पाठ के लाभ कर देंगे हैरान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति प्रत्येक सोमवार, प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि के दिन शिव पंचाक्षर स्रोत का पाठ करता है, उसे जीवन में धन-धान्य, आरोग्य, सुख और समृद्धि मिलती है। मान्यता है कि इस स्रोत के पाठ से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के अशुभ प्रभा भी कम किए जा सकते हैं।

यहां पढ़ें शिव पंचाक्षर स्रोत…

‘नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम:शिवाय।।

मंदाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथ महेश्वराय।

मण्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम:शिवाय।।

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्रीनीलकण्ठाय बृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम:शिवाय।।

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम:शिवाय।।

यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय।।

पञ्चाक्षरिमदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

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