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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, आप से नाराज हो जाएंगे महादेव

पर क्या आप जानते हैं भगवान शिव जी की पूजा के लिए कुछ चीजों को वर्जित माना गया है, यदि फिर भी ये चीजें उन्हें चढ़ाई जाएं, तो भोलेनाथ आपसे नाराज हो सकते हैं! पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें आखिर वो क्या चीजें हैं, जिन्हें चढ़ाने से भोलेनाथ आप से नाराज हो सकते हैं…

Feb 06, 2023 / 04:20 pm

Sanjana Kumar

 

फाल्गुन माह आज से शुरू हो गया है। इस माह के प्रमुख त्योहारों में महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। यही कारण है कि माना जाता है कि यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती को खुश करने के लिए सबसे अच्छा दिन है। इस दिन भक्त भोलेनाथ को फूल, जल, दूध, शहद, दही और बेल पत्र चढ़ाकर उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं। पर क्या आप जानते हैं भगवान शिव जी की पूजा के लिए कुछ चीजों को वर्जित माना गया है, यदि फिर भी ये चीजें उन्हें चढ़ाई जाएं, तो भोलेनाथ आपसे नाराज हो सकते हैं! पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें आखिर वो क्या चीजें हैं, जिन्हें चढ़ाने से भोलेनाथ आप से नाराज हो सकते हैं…

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सिंदूर, रोली और कुमकुम
सिंदूर, रोली और कुमकुम ये तीनों ही चीजें भोलेनाथ को अर्पित नहीं की जातीं। चूंकि भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है और सिंदूर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए लगाती हैं। इसीलिए भगवान शिव पर सिंदूर चढ़ाना अशुभ माना गया है। इसके बजाया भोलेनाथ को चंदन का तिलक लगाना शुभ माना गया है। इसलिए उन्हें चंदन का तिलक लगाएं।

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तुलसी दल
शिव जी की पूजा में तुलसी भी शामिल नहीं की जाती। दरअसल शिवपुराण के मुताबिक तुलसी पहले वृंदा के रूप में जालंधर की पत्नी थी, जिसका शिवजी ने वध किया था। वृंदा इससे दुखी होकर बाद में तुलसी का पौधा बन गई थी। उसने भगवान शिव को अपने आलौकिक और देवीय गुणों वाले तत्वों से वंचित कर दिया था। इसीलिए शिव पूजा में तुलसी का इस्तेमाल वर्जित माना गया है।

हल्दी
हल्दी का इस्तेमाल मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन के रूप में किया जाता है। हल्दी स्त्री से संबंधित वस्तु मानी गई है। इसलिए भूलकर भी शिवजी को हल्दी न चढ़ाएं।

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लाल या केतकी के फूल
शास्त्रों के मुताबिक शिवजी पर केतकी के फूल, कमल के फूल, कनेर के फूल या लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाए जाते। शिव पूजा कर रहे हैं तो ध्यान रखें केवल सफेद फूल ही चढ़ाएं।

शंख या शंख से जलाभिषेक
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान शिव शंकर ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि वह भगवान विष्णु का भक्तथा। इसीलिए भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग या शंख से जलाभिषेक वर्जित माना गया है।

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