महाकाल की इस साल की अंतिम सवारी 6 सितंबर को निकलेगी जोकि शाही सवारी कहलाती है. पांचवीं सवारी के दिन भगवान श्री चन्द्रमौलिश्वर चांदी की पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। साथ ही श्री मनमहेश हाथी पर विराजित होकर भक्तों को दर्शन देंगे। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत पांचवी सवारी में भी सवारी का स्वरूप पिछले साल की तरह ही रहेगा।
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सभा मंडप में महाकाल की परंपरागत पूजा होगी. इसके बाद महाकाल को सवारी के रूप में मुख्य द्वार से निकाला जाएगा. महाकाल नृसिंह घाट रोड से होते हुए क्षिप्रा तट पर रामघाट पहुंचेंगे। यहां क्षिप्रा जल से महाकाल का अभिषेक होगा. इसके बाद हरसिद्धि मंदिर में मां हरसिद्धि और महाकाल की आरती होगी. इसके बाद महाकाल वापस मंदिर आएंगे।
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सवारी के मार्ग पर जगह-जगह सजावट की गई है। महाकाल की सवारी के दौरान आतिशबाजी भी की जाती है। हालांकि आमजन का प्रवेश प्रतिबंधित रखा गया है. सवारी में पालकी उठाने के लिए कहार, मंदिर के पुरोहित, पुजारी, समिति सदस्य के साथ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी ही शामिल हो सकेंगे। इसके साथ ही सवारी के रास्त पर धारा 144 लागू कर दी गई है.
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महाकाल के भक्तों को बाबा की इस सवारी का इंतजार रहता है. इन श्रद्धालुओं के लिए सवारी दर्शन की विशेष व्यवस्था की गई है. www.mahakaleshwar.nic.in पर सवारी का लाइव प्रसारण किया जाएगा. मंदिर समिति द्वारा अन्य वेबसाइट व स्थानीय चैनलों पर प्रसारण किया जाएगा. इसके साथ ही फेसबुक पर भी देश-दुनिया के भक्त महाकाल के नगर भ्रमण के दर्शन कर सकते हैं।